दुनिया-जगत

इमरान खान का करीबी सहयोगी नाै मई के दंगों के मामले में बना सरकारी गवाह

 इस्लामाबाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी सहयोगियों में से एक और पीटीआई की टाइगर फोर्स के प्रमुख रहे उस्मान डार ने 9 मई के दंगे के मामले में पाला बदलने और अपने पार्टी प्रमुख के खिलाफ सरकारी गवाह बनने का फैसला किया है।

टाइगर फोर्स के प्रमुख के रूप में कार्य करने के अलावा डार, पार्टी के लिए काम करने के लिए युवा स्वयंसेवकों को शामिल करने और बढ़ावा देने के लिए गठित एक संगठन के पूर्व विशेष सहायक भी थे।

एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में डार ने दावा किया कि दंगों की योजना और क्रियान्वयन की रणनीति लाहौर के ज़मान पार्क स्थित पूर्व प्रधानमंत्री के आवास पर बनाई गई थी।

उन्‍होंने कहा, 9 मई की घटना की योजना लाहौर में उनके ज़मान पार्क निवास पर पीटीआई प्रमुख के रूप में इमरान खान की अध्यक्षता में हुई बैठकों में बनाई गई थी। इमरान खान ने खुद सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के निर्देश दिए थे।

कहा कि , इस बात पर चर्चा हुई कि हमें उन पर (सैन्य प्रतिष्ठान) दबाव बनाने के लिए जरूरत पड़ने पर राज्य संस्थानों पर हमला करना चाहिए।

डार ने कहा कि पार्टी में दो खेमे बन गए हैं। एक का झुकाव राज्य संस्थानों के प्रति सुलहवादी दृष्टिकोण की ओर था, जबकि दूसरा पक्ष आक्रामक आख्यान बनाने और संस्थानों को अपने सिर पर लेने की कहानी की ओर झुका हुआ था।

उन्होंने दावा किया, मुराद सईद, हम्माद अज़हर और आज़म स्वाति उस समूह में से थे, जो चाहते थे कि खान सत्ता विरोधी रुख अपनाएं और इमरान खान उनकी बात सुनते थे और उससे सहमत भी थे।

और भी

शाप्स ने जेलेंस्की को और अधिक सैन्य सहायता देने का वादा किया

 लंदन:  ब्रिटेन के रक्षा मंत्री ग्रांट शाप्स ने गुरुवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ बैठक के दौरान उन्हें और सैन्य समर्थन देने का वादा किया।

रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। प्रेस बयान में कहा गया, “रक्षा मंत्री शाप्स ने राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की और उनके समकक्ष रुस्तम उमेरोव से मुलाकात की और ब्रिटेन से और सैन्य मदद का वादा किया।”

 

और भी

पाकिस्‍तान में लाइव टीवी शो पर जमकर चले लात घूंसे

इस्‍लामाबाद: पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और इमरान खान के बीच किस हद तक दुश्‍मनी है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। अब उनकी इसी दुश्‍मनी की एक झलक लाइव टीवी पर भी नजर आने लगी है। एक लाइव टीवी कार्यक्रम के दौरान नवाज की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सीनेटर अफनान उल्लाह खान और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से जुड़ी वकील शेर अफजल खान मारवात एक-दूसरे से भिड़ गए। इन दोनों की पिटाई के बाद पाकिस्‍तान के न्‍यूज चैनल्‍स एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गए हैं। कई लोगों का कहना है कि पाकिस्‍तानी चैनल्‍स लगातार मारपीट का अड्डा बनते जा रहे हैं।

सीनेटर अफनान उल्लाह खान और शेर अफजल खान मारवात एक चैनल पर चर्चा में शामिल हुए थे। एक राजनीतिक टॉक शो के दौरान, दोनों नेताओं के बीच एक मसले को लेकर मामला गर्म हो गया। बात इतनी बढ़ गई कि दोनों एक दूसरे को गालियां देने लगे और मारपीट करने लगे। इस पूरी घटना ने एंकर और चैनल को हैरान कर दिया तो वहीं दर्शक अपनी तरह से क्लिप को शेयर करके इसके मजे ले रहे हैं। दरअसल पॉपुलर टीवी होस्ट जावेद चौधरी के शो 'कल तक' के दौरान, पीएमएल-एन सीनेटर ने पीटीआई प्रमुख इमरान खान पर कई संगीन आरोप लगाए। उन्‍होंने पूर्व पीएम पर गलत काम करने और सैन्य अधिकारियों के साथ बैकडोर बातचीत करने का आरोप लगाया।

 
और भी

कनाडा में खालिस्तानियों ने किया भारत के खिलाफ प्रदर्शन

दिल्ली: कनाडा में खालिस्तान समर्थकों ने सोमवार को भारत के खिलाफ प्रदर्शन किया। सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू के आह्वान पर खालिस्तान समर्थक दो अलग-अलग जगह इस प्रदर्शन के लिए जुटे। पहला प्रदर्शन कनाडा के वैंकूवर में, जबकि दूसरा प्रदर्शन ओटावा में किया गया।


वैंकूवर में प्रदर्शनकारी भारतीय दूतावास के बाहर इकट्‌ठे हुए और खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए। कुछ खालिस्तान समर्थकों ने विरोध जताने के लिए तिरंगा फाड़ दिया। ये लोग अपने साथ तिरंगे का बड़ा बैनर लेकर आए, जिसे उन्होंने जमीन पर बिछाया और उस पर चलते भी दिखे। उन्होंने PM मोदी की तस्वीर का भी अपमान किया।

ओटावा में बुलावे पर पहुंचे 30 लोग
खालिस्तानियों ने दूसरा प्रदर्शन ओटावा में भारतीय दूतावास के बाहर किया। SFJ का अनुमान था कि इस प्रदर्शन में सैकड़ों लोग पहुंचेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रदर्शन में करीब 30 लोग ही शामिल हुए। बताया जा रहा है कि इनमें से अधिकतर को दिहाड़ी पर प्रदर्शन के लिए इकट्‌ठा किया गया था।

दूतावास के बाहर कम होती भीड़

भारत के कड़े रुख के बाद भारतीय दूतावास के बाहर इकट्‌ठे होने वाली खालिस्तानी समर्थकों की भीड़ दिन पर दिन कम होती जा रही है। इसके पीछे भारत सरकार की तरफ से लिया गया अहम फैसला है। भारत सरकार ने बीते दिनों ही प्रदर्शन करने वाले खालिस्तानी समर्थकों की भीड़ में चेहरों को पहचानने का काम शुरू किया है।

इसके बाद भारत सरकार इन सभी प्रदर्शनकारियों का OCI कार्ड रद्द करने वाली है। OCI का अर्थ ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया है, जो विदेश में बसे भारतीय लोगों को दोहरी नागरिकता प्रदान करता है। भारत वापस ना आ पाने के डर से अब विदेश में बसे खालिस्तानी समर्थक खुल कर आगे आने से बच रहे हैं।

कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका में पाक के एजेंट सक्रिय
आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच तनाव का फायदा पाकिस्तान उठाना चाहता है। इसी को अंजाम देने के लिए उसकी खुफिया एजेंसी ISI ने भारत विरोधी माहौल बनाने के लिए दुनिया के सिख बाहुल्य क्षेत्रों में अभियान शुरू किया है। इस अभियान काे ‘के’ नाम दिया है। ‘के’ का मतलब खालिस्तान से है।

साजिश के तहत उसने कनाडा, यूके, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के सिख बहुल इलाकों में अपने एजेंट सक्रिय कर दिए हैं। इनके माध्यम से वह आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस, खालिस्तानी आतंकियों को करोड़ों रुपए की फंडिंग कर रहा है। साथ ही वह आतंकियों को विभिन्न देशों में भारतीय दूतावासों पर हमले और प्रदर्शन के लिए भी उकसा रही है।

खालिस्तानी आतंकियों का ओवरसीज सिटिजनशिप कार्ड कैंसिल करेगा भारत
कनाडा में खालिस्तान समर्थकों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए भारत सरकार कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में मौजूद खालिस्तानी आतंकियों के ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया यानी OCI कार्ड को कैंसिल करने की तैयारी में है।

सरकार के इस कदम के बाद ये आतंकी भारत नहीं आ पाएंगे। न्यूज एजेंसी IANS ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सरकार ने विदेश में रह रहे आतंकियों की प्रॉपर्टीज की भी पहचान करने के आदेश दिए हैं। NIA ने शनिवार को ही खालिस्तानी आतंकी पन्नू की चंडीगढ़ और अमृतसर की प्रॉपर्टी को जब्त किया था। कानूनी तौर पर अब ये प्रॉपर्टी सरकार की हो गई हैं।

 

 

और भी

सूडान में युद्ध के कारण 53 लाख लोग हुये विस्थापित

खार्तूम: सूडानी सशस्त्र बलों (एसएएफ) और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद अप्रैल के मध्य से सूडान में युद्ध से लगभग 53 लाख लोग विस्थापित हो गये। मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। ओसीएचए ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा, अप्रैल के बाद से पांचवें महीने में एसएएफ और आरएसएफ के बीच लड़ाई के कारण, लगभग 53 लाख लोग अपने घर छोड़कर सूडान या पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं।

इसमें कहा गया है, सूडान के भीतर, 19 सितंबर तक सभी 18 राज्यों में 3,929 स्थानों पर 42 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। ओसीएचए ने संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) के हवाले से कहा कि इसके अलावा, 10 लाख से अधिक लोग मध्य अफ्रीकी गणराज्य, चाड, मिस्र, इथियोपिया और दक्षिण सूडान सहित पड़ोसी देशों में चले गए हैं।

और भी

चिली के स्वतंत्रता समारोह के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में 25 लोगों की मौत

 सैंटियागो: चिली में 15 से 19 सितंबर तक वार्षिक स्वतंत्रता समारोह ‘फिएस्टास पैट्रियास’ के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में कुल 25 लोगों की मौत हुई। चिली के अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। रिपोर्ट के अनुसार ग्यारह लोगों की मौत कुचलने से हुई, टक्कर से छह लोगों की, भिडंत से चार लोगों की और वाहनों के पलटने से चार लोगों की मौत हुई।

लोक निर्माण मंत्री जेसिका लोपेज ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में कम मौत हुई हैं, वर्ष 2022 में 40 लोगों की मौत हुई थी। कारबिनेरोस (सैन्यीकृत पुलिस) के आदेश और सुरक्षा के राष्ट्रीय निदेशक एनरिक मोनरास ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि नशे में गाड़ी चलाने के लिए कुल 393 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

 
और भी

सऊदी अरब के साथ संबंध हो सकता है सामान्‍य : नेतन्याहू

जेरूसलम: इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आशा व्यक्त की है कि इजरायल और सऊदी अरब के बीच राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए एक ऐतिहासिक सौदा पहुंच के भीतर हो सकता है। नेतन्याहू की यह टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के इतर न्यूयॉर्क में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात के बाद आई है।

दिसंबर 2022 में नेतन्याहू के कार्यालय में लौटने के बाद यह दोनों नेताओं के बीच पहली बैठक थी। बाइडेन प्रशासन इज़राइल और सऊदी अरब के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के लिए एक समझौते पर काम कर रहा है। नेतन्याहू ने बााइडेन से कहा कि हम इज़राइल और सऊदी अरब के बीच एक ऐतिहासिक शांति स्थापित कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि इस तरह की शांति अरब-इजरायल संघर्ष के अंत को आगे बढ़ाने, इस्लामी दुनिया और यहूदी राज्य के बीच सुलह हासिल करने और इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच वास्तविक शांति को आगे बढ़ाने में काफी मदद करेगी। इससे पहले सितंबर में, इज़राइल के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के निदेशक तज़ाची हानेग्बी ने कहा था कि उनके देश और फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने सऊदी अरब के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के इज़राइल के प्रयासों के तहत सीधी बातचीत की है।

रियाद और वाशिंगटन दोनों ने हाल के महीनों में इस बात पर जोर दिया है कि इजरायल और सऊदी अरब के बीच अमेरिका की मध्यस्थता वाले किसी भी समझौते के लिए इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के समाधान की दिशा में सकारात्मक विकास की आवश्यकता होगी।

और भी

चार्ल्स तृतीय ने ब्रिटेन, फ्रांस से दोस्ती को फिर से मजबूत करने का किया आह्वान

पेरिस: ब्रिटेन के राजा चार्ल्स तृतीय ने ब्रिटेन और फ्रांस से 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी दोस्ती को फिर से मजबूत करने का आह्वान किया है। फ्रांस की तीन दिवसीय राजकीय यात्रा पर गए चार्ल्स तृतीय ने वर्सेल्स पैलेस में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन द्वारा आयोजित राजकीय रात्रिभोज के दौरान यह टिप्पणी की।

रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन और फ्रांस के बीच स्थायी संबंध की सराहना करते हुए, चार्ल्स तृतीय ने कहा कि ब्रिटिश और फ्रांसीसी लोगों के बीच संबंध असंख्य थे और 1904 में दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित एंटेंटे कॉर्डिएल की जीवनधारा का प्रतिनिधित्व करते थे। चार्ल्स तृतीय ने कहा, हमारे संबंध निश्चित रूप से हमेशा पूरी तरह से सीधे नहीं रहे हैं,  उन्होंने कहा कि दोनों देशों का लंबा और जटिल इतिहास है।

उन्होंने मैक्रॉन से जोर देकर कहा, इस सब में, हम अपनी दृढ़ मित्रता पर भरोसा कर सकते हैं, जो प्रत्येक नई पीढ़ी के साथ नवीनीकृत और पुनर्जीवित होती है।अपनी ओर से, मैक्रॉन ने कहा कि चार्ल्स तृतीय की फ्रांस यात्रा अतीत के लिए "एक सम्‍मान" और भविष्य की "गारंटी" है।

ब्रेक्सिट के बावजूद, हम चुनौतियों का सामना करने और उन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक साथ मिलकर अपने महाद्वीपों के भविष्य का हिस्सा लिखना जारी रखेंगे, जो हमारे बीच समान हैं। राजा चार्ल्स तृतीय, अपनी पत्नी रानी कैमिला के साथ, शुक्रवार को यात्रा के अंतिम चरण के रूप में बोर्डो जाने से पहले गुरुवार को फ्रांसीसी और ब्रिटिश व्यापार प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे।

उन्होंने मार्च में राजा बनने के बाद अपनी पहली राजकीय यात्रा के गंतव्य के रूप में फ्रांस को चुना। हालांकि, फ्रांसीसी पेंशन सुधार के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के कारण यात्रा स्थगित कर दी गई थी।

और भी

कनाडा का आरोप- भारत ने करवाई सिख नेता की हत्या

दिल्ली: कनाडा ने भारत पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। संसद में पीएम जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि हरजीत सिंह निज्जर की हत्‍या में भारतीय एजेंट्स का लिंक सामने आया है।

निज्जर खालिस्तानी आतंकी था जिसकी 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया में हत्या कर दी गई थी।

ABC न्यूज के अनुसार, कनाडा ने एक टॉप भारतीय डिप्लोमैट को निष्कासित कर दिया है। विदेश मंत्री मेलनी जॉली के अनुसार, कनाडा में भारतीय इंटेलिजेंस के प्रमुख को निष्‍काषित किया गया है। ट्रूडो को सोशल मीडिया पर अपने इस फैसले के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। बिना पर्याप्त सबूत के इतना गंभीर आरोप लगाना और ऐक्‍शन लेना लोगों के गले नहीं उतर रहा। कुछ ने तो ट्रूडो पर कनाडा को आतंकियों की शरणस्थली पाकिस्तान जैसा बनाने का आरोप लगा दिया।

कनाडा के पीएम हैं या खालिस्‍तान के प्रवक्‍ता?
ट्रूडो ने सोमवार को संसद में कहा कि कनाडाई खुफिया एजेंसियां निज्‍जर की हत्‍या के बाद से इन 'विश्‍वसनीय' आरोपों की जांच कर रही थी। उन्‍होंने कहा कि नई दिल्‍ली में जी20 शिखर सम्‍मेलन के समय उन्‍होंने यह मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भी उठाया था। ट्रूडो ने कहा कि उन्‍होंने मोदी से कहा था कि भारत की संल‍िप्‍तता स्‍वीकार नहीं होगी और जांच में सहयोग मांगा था। कनाडा के पीएम जिस लाइन पर चल रहे हैं, वही लाइन खालिस्तान के समर्थकों की है। अगले महीने कनाडा में होने वाले जनमत संग्रह के दूसरे चरण में वोटर्स से पूछा जाएगा कि क्या जून में कट्टरपंथी सिख नेता निजर की मौत के लिए भारतीय उच्चायुक्त जिम्मेदार है।

अपने ही देश में घिर गए ट्रूडो
ट्रूडो का यह फैसला भारत और कनाडा के राजनयिक संबंधों को रसातल में पहुंचा सकता है। वह अपने देश में ही आलोचना झेल रहे हैं। सोमवार को संसद में जब ट्रूडो ने यह बात बताई, उसके बाद से वह सोशल मीडिया के निशाने पर हैं। बाकी दुनिया के लोग भी हैरान हैं कि आखिर कनाडा क्यों भारत से रिश्ते खराब करने पर तुला है! जिल टॉड ने लिखा, 'यह नन्हा वामपंथी क्यों भारत से लड़ाई मोल लेना चाहता है?' एक अन्‍य X यूजर ने लिखा, 'कनाडा में चीनी पुलिस थानों ने जांच की और बताया कि यह भारत ने किया।' वहीं, दूसरे ने कहा, 'बधाई हो कनाडा के लोगों, आप पाकिस्तान के साथ जुड़ गए हो जो अब तक आतंकियों को पनाह देने वाला इकलौता देश था। जस्टिन ट्रूडो कनाडा को उस रास्ते पर ले जा रहे हैं जिस पर पाकिस्तान दशकों पहले चला था।।'

कनाडा में भारतीय डिप्‍लामैट्स को भारी खतरा
18 जून को निज्जर की हत्‍या के बाद कनाडा में पोस्टर युद्ध छिड़ गया। भारतीय राजनयिकों और प्रतिष्ठानों को धमकी दी गई। उनकी मौत के लिए उच्चायुक्त संजय वर्मा और वैंकूवर और टोरंटो में महावाणिज्य दूत को जिम्मेदार ठहराया गया। पोस्टर में बंदूक के साथ प्रतिबंधित संगठन सिख्स फॉर जस्टिस का नाम और मृत अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की तस्वीरें भी थीं। इसमें 1985 के एयर इंडिया फ्लाइट ब्लास्ट के मास्टरमाइंड तलविंदर सिंह परमार की तस्वीरें भी थीं।

और भी

रूस बना गेहूं का नंबर 1 निर्यातक, ये है वजह...

दिल्ली: रूस में लगातार दूसरे सीजन में भी गेहूं की बंपर पैदावार हुई। इसके चलते यह देश दुनिया का सबसे बड़ा यानी नंबर 1 निर्यातक देश बन गया।

एक तरफ जहां रूस की दमदार फसल निर्यातक के रूप में देश की स्थिति को मजबूत कर रही है वहीं दूसरी ओर, यह यूक्रेन पर आक्रमण की वजह से कीमत पर बढ़े दबाव को भी कम कर रही है। इसका मतलब यह है कि सप्लाई बढ़ने की वजह से देश को सस्ते में गेहूं मिल जा रहा है।

रूस के सबसे बड़े निर्यातक बनने की एक और वजह यूक्रेन पर पाबंदी
समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने बताया कि रूस के साथ युद्ध की वजह से यूक्रेन के बंदरगाहों पर नाकाबंदी हो गई है और लगातार बमबारी जारी है, जिसकी वजह से यूक्रेन का खाद्य निर्यात रुक गया है। और यही वजह है कि वैश्विक गेहूं बाजार में रूस को अपना प्रभुत्व मजबूत करने में मदद मिली है। यह रिकॉर्ड रूसी शिपमेंट को जानकर समझा जा सकता है क्योंकि देश के व्यापारियों ने आक्रमण के बाद सामना की गई फाइनैंशिंग और लॉजिस्टिक संबंधी चुनौतियों पर काबू पा लिया है।

हालांकि, रूस के खचाखच भरे अनाज बंदरगाहों ने लागत के संकट से जूझ रहे गेहूं उपभोक्ताओं के लिए एक उम्मीद की किरण भी पैदा की है क्योंकि इस समय गेहूं की कीमतें लगभग तीन वर्षों में सबसे कम हैं।

खुद के खजाने भरने के लिए रूस ने बढ़ा दी कीमत
रूस स्थिति का फायदा उठाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है और ऐसे में अपने खुद के खजाने को भरने के लिए गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी कर रहा है। लेकिन इन सबके बावजूद, जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था तब जितना दाम था, उसकी भी आधी से कम कीमत पर शिकागो बाजार कारोबार कर रहा है। बता दें कि आक्रमण के बाद गेहूं की कीमत उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।

स्ट्रैटेजी ग्रेन्स के अनाज-बाजार एनॉलिस्ट हेलेन डुफ्लोट ने ब्लूमबर्ग को बताया, ‘रूसी गेहूं के लिए बहुत सारे प्रतिस्पर्धी नहीं हैं। रूस इस समय प्राइस मेकर है।’ यानी रूस के लिए इस समय कोई मुकाबले में नहीं है और रूस का कीमत डिसाइड करने में इकलौता राज है।

और भी

वियतनाम में 9 मंजिला इमारत में आग, 50 की मौत

दिल्ली: वियतनाम की राजधानी हनोई में बुधवार को एक अपार्टमेंट में अचानक भीषण आग लग गई। जिसमें 50 लोगों की जलने से दर्दनाक मौत हो गई। इसके अलावा 50 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. सूचना पर पहुंची स्थानीय पुलिस ने घायलों को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उनका इलाज चल रहा है।

50 लोगों की जलने से मौत
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, वियतनाम समाचार एजेंसी ने जानकारी देते हुए बताया कि 13 सितंबर की रात को करीब 2 बजे अपार्टमेंट में अचानक आग लग गई। जिसमें 50 लोगों की जलने से मौत हो गई। आग नौ मंजिला इमारत में लगी. जिसमें 150 लोग रहते थे।

अपार्टमेंट में मौजूद थे 150 लोग
खबरों के अनुसार जिस अपार्टमेंट में आग लगी थी वह काफी तंग गली में स्थित था। जिससे फायर ब्रिगेड और अन्य बचाव दल को पहुंचने में भी काफी दिक्कत हो रही थी। फायर ब्रिगेड की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद लोगों को बाहर निकाला और उन्हें अस्पताल पहुंचाया। राहत-बचाव का कार्य तेजी के साथ चल रहा है। 70 लोगों को अपार्टमेंट से बाहर निकाला गया है। जिसमें से 54 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

और भी

अमेरिका में 9/11 हमले के 22 साल बाद भी 1,000 से ज्यादा मृतकों की नहीं हो पाई पहचान !

न्यूयॉर्क: अमेरिका में 9/11 आतंकवादी हमले की 22वीं बरसी के मौके पर बड़ी संख्या में लोगों ने मृतकों को श्रद्धांजलि दी। रिपोर्ट के अनुसार, इस मौके पर न्यूयॉर्क के लोअर मैनहट्टन में मेमोरियल एंड म्यूजियम में एक स्मृति समारोह आयोजित किया गया, जहां 11 सितंबर 2001 के हमलों में मारे गए 2,977 लोगों को श्रद्धांजलि दी गई। बरसी से कुछ दिन पहले, अमेरिकी धरती पर सबसे घातक आतंकवादी हमले के दो पीड़ितों - एक पुरुष और एक महिला, जिनके नाम उनके परिवारों के अनुरोध पर गुप्त रखे गए - की पहचान की घोषणा की गई।

मेयर कार्यालय के एक बयान के अनुसार, दो नई पहचानें न्यूयॉर्क शहर की डीएनए लेबोरेटरी द्वारा एडवांस टेस्टिंग का उपयोग कर 2001 के बाद से पहचाने गए 1,648वें और 1,649वें व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं। वे सितंबर 2021 के बाद से वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पीड़ितों की पहली नई पहचान है। हालांकि, 1,104 मृतक यानी मरने वालों में से 40 प्रतिशत की पहचान नहीं हो पाई है। ग्राउंड जीरो से संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं से मरने वाले 9/11 के प्रथम उत्तरदाताओं की संख्या हमलों के दौरान मरने वाले प्रथम उत्तरदाताओं की संख्या के लगभग बराबर है।

और भी

ब्राजील में उष्णकटिबंधीय चक्रवात से 44 लोगों की मौत

साओ पाउलो: दक्षिणी ब्राजील में पिछले हफ्ते आए एक अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात के बाद कुल 44 लोगों की मौत हो गयी और 46 अन्य लापता हो गए। नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने रविवार को यह जानकारी दी। चक्रवात के कारण अर्जेंटीना और उरुग्वे की सीमा से लगे रियो ग्रांडे डो सुल राज्य के लगभग 60 शहरों और पड़ोसी राज्य सांता कैटरीना के कुछ क्षेत्रों में सोमवार से मूसलाधार बारिश, बाढ़, 110 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की हवाएं चली और भूस्खलन शुरू हो गया।

रिपोर्ट के मुताबिक एक को छोड़कर सभी मौतें रियो ग्रांडे डो सुल में हुईं, जहां 224 लोग घायल हो गए और 14,000 से अधिक लोगों को निकाला गया। सबसे बुरी तरह प्रभावित शहर म्यूकम है जहां 16 लोगों की मौत हुई और रोका सेल्स में 10 लोगों की मौत हुई। ब्राज़ील के उपराष्ट्रपति गेराल्डो एल्कमिन ने शुक्रवार को चक्रवात से प्रभावित प्रत्येक व्यक्ति को लगभग 160 अमेरिकी डॉलर का मुआवजा देने की सरकार की योजना की घोषणा करने के बाद रविवार को इस क्षेत्र का दौरा किया।

राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डी सिल्वा ने भारत से बोलते हुए चरम मौसम की घटना को जलवायु परिवर्तन के परिणामों से निपटने के लिए आवश्यक पर्यावरणीय एजेंडे से जोड़ा। श्री सिल्वा भारत में जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए हुए थे।

 

 

और भी

मोदी ने मोरक्को में भूकंप की घटना पर संवेदना जतायी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मोरक्को में बीती रात आये शक्तिशाली भूकंप में मारे गये लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए संकट की इस घड़ी में हर संभव मदद का भरोसा दिया है।

श्री मोदी ने आज सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, मोरक्को में भूकंप के कारण हुई जानमाल की हानि से अत्यंत दुख हुआ। इस दुखद घड़ी में मेरी संवेदनाएं मोरक्को के लोगों के साथ हैं। उन लोगों के प्रति संवेदना जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। घायल जल्द से जल्द ठीक हो जाएं। भारत इस कठिन समय में मोरक्को को हर संभव मदद देने के लिए तैयार है।

उल्लेखनीय है कि मोरक्को में बीती रात आये शक्तिशाली भूकंप से करीब 300 लोगों की मौत हो गयी और कई लोगों के घायल होने तथा इमारते ध्वस्त होने की रिपोर्ट है।

और भी

किम जोंग-उन अर्धसैनिक परेड में शामिल

सियोल: उत्तर कोरिया ने अपने शासन के स्थापना दिवस की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए शनिवार को प्योंगयांग में अर्धसैनिक परेड का आयोजन किया, जिसमें नेता किम जोंग-उन भी मौजूद रहे। सरकारी मीडिया ने यह जानकारी दी। किम ने स्थापना की सालगिरह का जश्न मनाने के लिए किम इल सुंग स्क्वायर पर "शानदार" तरीके से आयोजित सैन्य परेड का अवलोकन किया।

रिपोर्ट के अनुसार, किम ने उस कार्यक्रम में भाषण नहीं दिया, जिसमें उनकी बेटी भी शामिल हुई थी, जिसका नाम जू-ए बताया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वाइस प्रीमियर लियू गुओझोंग के नेतृत्व में एक चीनी प्रतिनिधिमंडल और रूसी सेना के गीत और नृत्य समूह के सदस्य भी मौजूद थे। रूस ने इस बार अलग से प्रतिनिधिमंडल नहीं भेजा!

रात के समय होने वाला यह आयोजन इस साल अकेले उत्तर कोरिया द्वारा आयोजित तीसरी सैन्य परेड का प्रतीक है। यह परेड उन अटकलों के बीच हुई कि किम संभावित हथियार सौदे पर चर्चा करने के लिए अगले सप्ताह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने के लिए व्लादिवोस्तोक की यात्रा कर सकते हैं।

रूस की उनकी संभावित यात्रा की एक रिपोर्ट में अटकलें लगाई गई हैं कि उत्तर कोरिया रूस से हथियारों से संबंधित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बदले में यूक्रेन के साथ मास्को के युद्ध में उपयोग के लिए तोपखाने के गोले और अन्य गोला-बारूद प्रदान कर सकता है।

केसीएनए के अनुसार, नवीनतम अर्धसैनिक परेड में उच्च गतिशीलता वाली मोटरसाइकिलों के काफिले और ट्रैक्टरों द्वारा खींचे गए एंटी-टैंक मिसाइल लांचर शामिल थे। परेड का नेतृत्व ज्यादातर वर्कर-पीजेंट रेड गार्ड्स ने किया, जो उत्तर में एक नागरिक रक्षा संगठन है, इसमें लगभग 5.7 मिलियन श्रमिक और किसान शामिल हैं।

उत्तर कोरिया के सरकारी कोरियन सेंट्रल ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन ने कहा कि पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेताओं ने प्रमुख वर्षगांठ के अवसर पर किम को बधाई संदेश भेजे हैं।

और भी

बाइडन का कोरोना टेस्ट निगेटिव, शुक्रवार को करेंगे पीएम मोदी से भेंट

 दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन भी जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत आ रहे हैं। इससे पहले प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बाइडन ने अपना एक और कोरोना टेस्ट करवाया, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव रही।

शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति शिखर सम्मेलन के लिए गुरुवार को भारत की यात्रा करेंगे और शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।

उल्लेखनीय है कि जी-20 देशों का शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर को राजधानी दिल्ली में आयोजित होने जा रहा है। दिल्ली सज कर पूरी तरह तैयार है। मेहमानों को प्रतीक्षा है। सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त हैं।

इस बीच, केंद्र सरकार ने बताया कि 9 और 10 सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के मद्देनजर कुछ सरकारी कार्यालयों को सुरक्षा जांच के लिए बंद किया जाएगा। कार्मिक मंत्रालय ने उन कार्यालयों की सूची साझा की जिन्हें बंद रखा जाएगा।

इनमें दूरदर्शन टावर-1, दूरदर्शन टावर-2, भारत संचार भवन, चुनाव आयोग कार्यालय, विदेश मंत्रालय कार्यालय, केजी मार्ग, शिल्प संग्रहालय, राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र, इंडिया गेट और पटियाला हाउस कोर्ट शामिल हैं।

G-20 सम्मेलन के दौरान अचूक सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत इन इमारतों को आठ सितंबर को सुबह नौ बजे खाली करना आवश्यक है, ताकि जांच पूरी की जा सके। कार्मिक मंत्रालय ने पिछले महीने के अंत में जारी आदेश में कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालय आठ से 10 सितंबर तक बंद रहेंगे।

और भी

चंद्रयान-3 की सफलता से पश्चिमी देशों का चिढ़ना दर्शाता है कि भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है

 अंततः भारत चल पड़ा है विश्व गुरु बनने की राह पर। परंतु, पश्चिमी देशों में कुछ विघनसंतोषी जीवों को शायद यह रास नहीं आ रहा है क्योंकि भारत, ब्रिटेन का कभी औपनिवेशिक देश रहा है और इन देशों की नजर में यह कैसे हो सकता है कि ब्रिटेन के चन्द्रमा पर पहुंचने के पूर्व ही उनका एक पूर्व औपनिवेशक देश अपना चन्द्रयान-3 सफलता पूर्वक चन्द्रमा पर उतार ले। भारत, पूरे विश्व में, पहला देश है जिसने चन्द्रयान-3 को चन्द्रमा के दक्षिणी पोल पर सलतापूर्वक उतार लिया है। अन्यथा, विश्व का कोई भी देश, अमेरिका, रूस एवं चीन सहित, अभी तक चन्द्रमा के दक्षिणी पोल पर अपना यान उतारने में सफल नहीं हो सका है। निश्चित ही भारत की यह सफलता न केवल भारत के लिए बल्कि विश्व के समस्त देशों के लिए गर्व का विश्व होना चाहिए। यदि चन्द्रयान-3 अपने उद्देश्यों में सफल हो जाता है तो यह विश्व की भी उपलब्धि होगी। चन्द्रमा पर पानी उपलब्ध है अथवा नहीं, चन्द्रमा पर किस प्रकार के खनिज पदार्थ (सोना, प्लेटिनम, टाइटेनियम, यूरेनियम, आदि), रासायनिक पदार्थ, प्राकृतिक तत्व, मिट्टी एवं अन्य तत्व पाए जाते हैं, आदि का पता लगने पर क्या इस जानकारी का लाभ केवल भारत को ही होने जा रहा है अथवा क्या विश्व के अन्य देश भी इस जानकारी का लाभ उठा सकने की स्थिति में नहीं होंगे? परंतु, पश्चिमी देशों में कुछ तत्व भारत की इस महान उपलब्धि को सकारात्मक दृष्टि से न देखते हुए इस संदर्भ में अपनी नकारात्मक सोच को आगे बढ़ाते हुए दिखाई दे रहे है और सम्भव है कि भारत के प्रति उनकी यह नकारात्मक सोच इन देशों के लिए भविष्य में हानिकारक सिद्ध हो।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक कार्टून छापा है जिसमें बताया गया है कि विशिष्ट वर्ग के दो नागरिक एक कक्ष (कैबिन) में बैठे हैं एवं इनमें से एक संभ्रांत व्यक्ति एक अखबार में भारत के मंगल मिशन के सम्बंध में जानकारी पढ़ रहा है। इस कक्ष के बाहर भारतीय गरीब किसान के रूप में एक गाय को लेकर एक व्यक्ति दरवाजे के बाहर खड़ा है, जो दरवाजे पर दस्तक देता हुआ दिखाई दे रहा है। इस कार्टून से ऐसा महसूस कराए जाने का प्रयास किया जाना प्रतीत हो रहा है कि जैसे एक गरीब भारत देश, पश्चिमी देशों से अपने मंगल मिशन के लिए सहायता मांग रहा हो। संभवत: भारत के चन्द्रयान-3 की सफलता को पश्चिमी देशों में कुछ तत्व पचा नहीं पा रहे हैं।

एक ब्रिटिश पत्रकार पेट्रिक क्रिस्टी ने भारत को चन्द्रयान-3 को चन्द्रमा के दक्षिणी पोल पर सफलता पूर्वक उतारे जाने की बधाई देते हुए यह मांग की है कि ब्रिटेन द्वारा भारत को उपलब्ध कराई जा रही आर्थिक सहायता राशि को वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि उसके अनुसार चूंकि भारत की आधी आबादी गरीबी का जीवन जी रही है अतः ब्रिटेन द्वारा भारत को दी जा रही आर्थिक सहायता राशि का उपयोग भारत में गरीबी मिटाने के उद्देश्य से न किया जाकर अंतरिक्ष में अपने चन्द्रयान भेजने के लिए किया जा रहा है। इस ब्रिटिश पत्रकार का दावा है कि ब्रिटेन द्वारा भारत को वर्ष 2016 से वर्ष 2021 के बीच 230 करोड़ ब्रिटिश पाउंड की राशि आर्थिक सहायता के रूप में उपलब्ध कराई गई है। उक्त पत्रकार का यह भी कहना है कि यदि भारत अपने राकेट को अंतरिक्ष में भेज रहा है तो भारत को ब्रिटेन के पास कटोरा लेकर मदद के लिए नहीं आना चाहिए। जबकि इस संदर्भ में वास्तविकता यह है कि भारत कभी भी ब्रिटेन के पास आर्थिक सहायता मांगने के लिए गया ही नहीं है। इस संदर्भ में ब्रिटेन द्वारा सरकारी तौर पर उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार ब्रिटेन ने भारत को किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता उपलब्ध नहीं कराई है परंतु ब्रिटेन ने वर्ष 2015 के बाद से भारत में व्यवसाय को बढ़ावा देने के उद्देश्य से निवेश जरूर किया है ताकि भारत के बाजार में ब्रिटेन का योगदान बढ़ सके एवं ब्रिटेन के नागरिकों के लिए रोजगार के अवसर निर्मित हो सकें।

यह भी एक वास्तविकता है कि भारत आज विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और इस संदर्भ में हाल ही में भारत ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ते हुए अपनी अर्थव्यवस्था को आकार में ब्रिटेन से भी बड़ी अर्थव्यवस्था बना लिया है। परंतु, कुछ ब्रिटिश राजनीतिज्ञ एवं पत्रकार इस तथ्य को स्वीकार ही नहीं कर पा रहे हैं और वे अपनी साम्राज्यवादी सोच से भी बाहर नहीं आ पा रहे हैं। ऐसे तत्व आज भी भारत को अपनी एक कालोनी (उपनिवेश) के रूप में ही देख रहे हैं और सोच रहे हैं कि भारत कैसे ब्रिटेन से पहले चन्द्रमा पर पहुंच सकता है। जबकि आज वस्तुस्थिति यह है कि ब्रिटेन की आर्थिक हालत इतनी अधिक खराब हो गई है कि ब्रिटेन के नागरिकों को अपने बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए भी ऋण लेना पड़ रहा है।

पश्चिमी देशों को अब यह समझना होगा कि यह 21वीं सदी है एवं वैश्विक पटल पर भारत अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए आगे बढ़ चुका है। यह पश्चिमी देशों के हित में ही होगा कि वे भारत की विकास यात्रा में भागीदार बनें एवं अपने आर्थिक हितों को भी बल प्रदान करें, इस बात को जितनी जल्दी समझें उनके लिए उतना ही अच्छा है क्योंकि अन्यथा वे स्वयं के आर्थिक हितों को नुक्सान ही पहुंचा रहे होंगे। क्या ब्रिटेन इस बात को भूल गया है कि औपनिवेशक खंडकाल में उसने भारत पर शासन के दौरान वर्ष 1765 से लेकर वर्ष 1938 तक भारत से 45 लाख करोड़ पाउंड की लूट की है (यह तथ्य एक अधय्यन प्रतिवेदन में सामने आया है), हो सकता है यह राशि और भी अधिक रही हो। परंतु, उक्त राशि भी ब्रिटेन के सकल घरेलू उत्पाद का 15 गुणा है। उक्त राशि को ब्रिटेन द्वारा भारत को लौटाए जाने पर भी विचार किया जाना चाहिए। ब्रिटेन द्वारा भारत में की गई भारी लूट के बावजूद भारत एक बार पुनः अब अपने पैरों पर खड़ा हो चुका है एवं भारत को अपने मिशन चन्द्रमा ग्रह, मिशन मंगल ग्रह एवं मिशन सूर्य ग्रह पर पश्चिमी देशों के दर्शन की आवश्यकता नहीं है। भारत को वैसे भी अब अंतरिक्ष के क्षेत्र में नित नयी सफलता की कहानियां गढ़ने की आदत पड़ चुकी है, और फिर चन्द्रमा के दक्षिणी पोल पर चन्द्रयान-3 को सफलता पूर्वक उतारना तो एक शुरुआत भर है।  

भारत का मिशन चन्द्रयान-3 तुलनात्मक रूप से बहुत किफायती रहा है। इस पूरे मिशन पर केवल लगभग 615 करोड़ रुपए की लागत आई है, जबकि अन्य देशों यथा अमेरिका, रूस एवं चीन की इस तरह के मिशनों पर हजारों करोड़ रुपए की लागत आती रही है। साथ ही, चन्द्रयान-3 ने 14 जुलाई 2023 को आन्ध्र प्रदेश के श्रीहरीकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपनी यात्रा प्रारम्भ की थी और केवल 41 दिनों के बाद, 23 अगस्त 2023 को चन्द्रयान-3 ने चन्द्रमा के दक्षिणी पोल पर सफलता पूर्वक अपनी लैंडिंग सम्पन्न कर एक नया विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। इसरो ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को इसलिए चुना क्योंकि सूर्य द्वारा कम प्रकाशित होने के संबंध में दक्षिणी ध्रुव को एक विशिष्ट लाभ प्राप्त है। इसरो के अध्यक्ष इस सम्बंध में कहते हैं कि चंद्रमा मिशन पर कार्य कर रहे वैज्ञानिकों ने दक्षिणी ध्रुव में बहुत रुचि दिखाई क्योंकि अंततः मनुष्य वहां जाकर उपनिवेश बनाना चाहते हैं और फिर उससे आगे की यात्रा करना चाहते हैं। इसलिए इसरो चन्द्रमा पर सबसे अच्छी जगह की तलाश कर रहा है और चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव में वह क्षमता है। चन्द्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर के पास दो उपकरण हैं, दोनों चंद्रमा पर मौलिक संरचना के निष्कर्षों के साथ-साथ रासायनिक संरचनाओं से संबंधित हैं। अतः यह चन्द्रमा की सतह पर चक्कर लगाकर उक्त विषयों पर जानकारी भारत को उपलब्ध कराएगा।

वैसे भी देखा जाये तो अमेरिका के अंतरिक्ष केंद्र नासा में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के इंजीनियर्स कार्यरत हैं जबकि भारत के अंतरिक्ष केंद्र इसरो में सम्भवत: एक भी अमेरिकी इंजीनियर कार्यरत नहीं है। अर्थात, पश्चिमी देशों के अंतरिक्ष से जुड़े विभिन्न मिशनों में भारतीयों का सीधा-सीधा योगदान रहता आया है। भारत के इसरो प्रमुख का तो यहां तक कहना है कि आधुनिक विज्ञान की उत्पत्ति वेदों से हुई है, परंतु पश्चिमी देशों ने इसे अपनी खोज की तरह प्रस्तुत किया है। अतः इस संदर्भ में कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अंतरिक्ष से जुड़े पश्चिमी देशों के विभिन्न मिशन अपरोक्ष रूप से भारत के सहयोग से ही चल रहे हैं जबकि इस क्षेत्र में भारत के विभिन्न मिशन अपने बलबूते पर चल रहे हैं। अब पश्चिमी देशों को इस वस्तुस्थिति से अवगत होना बहुत जरूरी है।

वैसे भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में हाल ही के समय में भारत का एक तरह से वर्चस्व स्थापित होता दिखाई दे रहा है। आज पूरी दुनिया ही अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का लोहा मानने लगी है। भारत ने इस क्षेत्र में अमेरिका, रूस एवं चीन जैसे देशों के एकाधिकार को तोड़ा है। भारत आज समूचे विश्व में सैटेलाइट के माध्यम से टेलीविजन प्रसारण, मौसम के सम्बंध में भविष्यवाणी और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है और चूंकि ये सभी सुविधाएं उपग्रहों के माध्यम से ही संचालित होती हैं, अतः संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने की मांग आज समस्त देशों के बीच बढ़ रही है। चूंकि भारतीय तकनीक तुलनात्मक रूप से बहुत सस्ती है अतः कई देश अब इस सम्बंध में भारत की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इन परिस्थितियों के बीच चंद्रयान-3 की कम लागत में सफल लैंडिंग के बाद व्यवसायिक तौर पर भारत के लिए संभावनाएं पहले से अधिक बढ़ गयी है। आज भारतीय इसरो की, कम लागत और सफलता की गारंटी, सबसे बड़ी ताकत बन गयी है। अंतरिक्ष बाजार में भारत की धमक का यह स्पष्ट संकेत दिखाई दे रहा है और इस क्षेत्र में भारत एक धूमकेतु की तरह बनकर उभरा है। भारतीय इसरो अपने 100 से ज्यादा अंतरिक्ष अभियान, चन्द्रमा मिशन, मंगल मिशन, स्वदेशी अंतरिक्ष शटल, एवं चन्द्रयान-3 सहित, सफलतापूर्वक सम्पन्न कर चुका है।

और भी

आदित्य मिशन: सूरज के अध्ययन में शामिल होगा भारत

 चंद्रयान के सकुशल अवतरण के बाद इसरो की तैयारी सूरज को पढ़ने की है। इसरो का आदित्य-L1 मिशन 2 सितंबर को प्रक्षेपित होने जा रहा है। इसे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्री हरिकोटा से PSLV-XL रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा। यह अंतरिक्ष यान पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी के बीच लैग्रांजे बिंदु-1 (L-1) की कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जहां से यह सौर गतिविधियों की निगरानी करेगा। यह सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय अंतरिक्ष अभियान होगा। गौरतलब है कि फिलहाल विभिन्न देशों के 20 से ज़्यादा सौर अध्ययन अंतरिक्ष मिशन अंतरिक्ष में मौजूद हैं। 

बताते चलें कि लैग्रांजे बिंदु अंतरिक्ष में दो पिंडों के बीच वे स्थान होते हैं जहां यदि कोई छोटा पिंड या उपग्रह रख दिया जाए तो वह वहां टिका रहता है। पृथ्वी-सूर्य प्रणाली के बीच ऐसे पांच बिंदु हैं। L1 बिंदु की कक्षा में स्थापित करने का फायदा यह है कि आदित्य-L1 बिना किसी अड़चन, ग्रहण वगैरह के सूर्य की लगातार निगरानी कर सकता है।

पृथ्वी से सूर्य की निगरानी और अवलोकन तो हम करते रहे हैं। लेकिन अंतरिक्ष से सूर्य के अवलोकन का कारण है कि पृथ्वी का वायुमंडल कई तंरगदैर्घ्यों और कणों को प्रवेश नहीं करने देता। इसलिए ऐसे विकिरण की मदद से होने वाले अवलोकन पृथ्वी से कर पाना संभव नहीं है। चूंकि अंतरिक्ष में ऐसी कोई बाधा नहीं है इसलिए अंतरिक्ष से इनका अवलोकन संभव है।   

आदित्य-L1 में सूर्य की गतिविधियां, सौर वायुमंडल (मुख्यत: क्रोमोस्फीयर और कोरोना) और अंतरिक्ष के मौसम का निरीक्षण करने के लिए सात यंत्र लगे हैं। इनमें से चार यंत्र बिंदु L1 पर बिना किसी बाधा के सीधे सूर्य का अवलोकन करेंगे, और शेष तीन यंत्र लैग्रांजे बिंदु L1 की स्थिति और कणों का जायज़ा लेंगे। आदित्य-L1 पर लगे विज़िबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) का काम होगा सूर्य के कोरोना और कोरोना से निकलने वाले पदार्थों का अध्ययन करना। कोरोना सूर्य की सबसे बाहरी सतह है जो सूर्य के तेज़ प्रकाश में ओझल रहती है। इसे विशेष उपकरणों से ही देखा जा सकता है। वैसे कोरोना को पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान देखा जा सकता है। सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) पराबैंगनी प्रकाश में सूर्य के फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेगा और अल्ट्रावॉयलेट प्रकाश के नज़दीक सौर विकिरण विचलन मापेगा। फोटोस्फीयर या प्रकाशमंडल वह सतह है जहां से प्रकाश फैलता है। सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS) और हाई एनर्जी L1 ऑर्बाइटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS) सूर्य की एक्स-रे प्रदीप्ति का अध्ययन करेगा। आदित्य सोलर विंड पार्टीकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) और प्लाज़्मा एनालाइज़र पैकेज फॉर आदित्य (PAPA) सौर पवन, उसके आयन और ऊर्जा वितरण का अध्ययन करेगा। इसका एडवांस्ड ट्राय-एक्सिस हाई रिज़ॉल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर L1 बिंदु पर मौजूद चुम्बकीय क्षेत्र का मापन करेगा।

प्रक्षेपण के करीब 100 दिन बाद आदित्य अपनी मंज़िल (L1) पर पहुंचेगा।

और भी