दुनिया-जगत

हिमनदों के पिघलने से उभरते नए परितंत्र

 तेज़ी से बढ़ते वैश्विक तापमान का एक और बड़ा प्रभाव ऊंचे पहाड़ी (अल्पाइन) हिमनदों में देखा जा सकता है। हालिया अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन से विश्व भर के अल्पाइन हिमनद काफी तेज़ी से पिघल रहे हैं जिसके नतीजतन शताब्दियों से हिमाच्छादित भूमि के विशाल हिस्से उजागर हो सकते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इन उभरते हुए नए परितंत्रों का संरक्षण नई चुनौतियों के साथ-साथ नए अवसर भी देगा।

अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड के बाहर वर्तमान में अल्पाइन हिमनद लगभग 6.5 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं। गर्मियों में ये हिमनद लगभग दो अरब लोगों के अलावा वैश्विक परितंत्र को जल आपूर्ति करते हैं। ज़ाहिर है इनके पिघलने से वैश्विक परितंत्र पर काफी प्रभाव पड़ेगा।

शोधकर्ताओं ने इसके प्रभाव को समझने के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के विभिन्न स्तरों को ध्यान में रखते हुए एक जलवायु मॉडल तैयार किया जिसमें हिमनदों के पिघलने और सिमटने से खुलने वाले परितंत्र पर प्रकाश डाला गया है। नेचर पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार सबसे आशाजनक स्थिति में भी इस सदी के अंत तक 1,40,500 वर्ग कि.मी. (झारखंड के बराबर) क्षेत्र उजागर हो सकता है। यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ज़्यादा रहा तो यह क्षेत्र इसका दुगना हो सकता है। सबसे अधिक प्रभाव अलास्का और एशिया के ऊंचे पहाड़ों पर पड़ने की संभावना है।

इस अध्ययन के प्रमुख और हिमनद वैज्ञानिक ज़्यां-बैप्टिस्ट बोसां ने इसे पृथ्वी के सबसे बड़े पारिस्थितिक परिवर्तनों में से एक निरूपित किया है। उनका अनुमान है कि नव उजागर क्षेत्र में से करीब 78 प्रतिशत भूमि और 14 प्रतिशत व 8 प्रतिशत हिस्सा क्रमश: समुद्री और मीठे पानी वाले क्षेत्र होंगे। 

एक दिलचस्प बात यह है कि इस क्षेत्र में निर्मित नए प्राकृतवास महत्वपूर्ण होंगे जिनका संरक्षण करने की ज़रूरत होगी। पेड़-पौधे बढें़गे तो कार्बन भंडारण अधिक होगा, जो निर्वनीकरण की प्रतिपूर्ति कर सकता है और ऐसे जंतुओं को नए प्राकृतवास मिलेंगे जो कम ऊंचाई पर रहते हैं और बढ़ते तापमान से जूझ रहे हैं। यह अध्ययन उन वैज्ञानिकों के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान करेगा जो अनछुए स्थानों पर सूक्ष्मजीवों, पौधों और जंतुओं के प्रवास को समझने का प्रयास कर रहे हैं। गौरतलब बात है कि इस अध्ययन में शामिल किए गए आधे से भी कम हिमनद क्षेत्र वर्तमान के संरक्षित क्षेत्रों में शामिल हैं। लिहाज़ा इस अध्ययन से इस भावी परिघटना के मद्देनज़र भूमि प्रबंधन को लेकर सरकारें भी नई चुनौतियों से निपट पाएंगी।

वैसे बोसां का कहना है कि  ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के प्रयास तत्काल किए जाएं तो वर्तमान हिमनदों का काफी हिस्सा बचाया जा सकता है। चूंकि वर्तमान में हम बढ़ते तापमान की समस्या से जूझ रहे हैं, इन उभरते परितंत्रों का संरक्षण और प्रबंधन न केवल जैव विविधता संरक्षण के लिए अनिवार्य है बल्कि जलवायु परिवर्तन के दूरगामी प्रभावों को कम करने का एक अवसर भी है। (स्रोत फीचर्स)

 
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पाकिस्तान में अगस्त में तेजी से बढ़े आतंकवादी हमले !

 पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज (पीआईसीएसएस) ने कहा है कि अगस्त में पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में तेजी से वृद्धि देखी गई, देश भर में 99 घटनाएं दर्ज की गईं, जो नवंबर 2014 के बाद से सबसे अधिक मासिक संख्या है।

रिपोर्ट के अनुसार, पीआईसीएसएस ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा कि हमलों में 112 मौतें हुईं और 87 घायल हुए, जिनमें से ज्यादातर सुरक्षा बल के जवान और नागरिक थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई की तुलना में आतंकवादी हमलों में 83 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, क्योंकि जुलाई में 54 हमले हुए थे।

इसके अलावा, दक्षिण एशियाई देश में 2023 के पहले आठ महीनों में 22 आत्मघाती हमले हुए हैं, जिसमें 227 लोग मारे गए हैं और 497 घायल हुए हैं। पीआईसीएसएस के अनुसार, आंकड़ों से यह भी पता चला है कि सुरक्षा बलों ने आतंकवादी खतरे का प्रभावी ढंग से जवाब दिया, कई हमलों को टाल दिया गया, देश भर में विभिन्न अभियानों में कम से कम 24 आतंकवादियों को मार गिराया और 69 अन्य को गिरफ्तार किया।

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तमाकी फिर चुने गए जापान के विपक्षी दल के नेता

 जापान की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी फॉर द पीपल (डीपीपी) ने अपने मौजूदा प्रमुख युइचिरो तमाकी को फिर से नेता चुना है। रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को पार्टी के कार्यवाहक प्रमुख सेइजी मेहारा पर निर्णायक जीत हासिल करते हुए तमाकी को तीन साल के नए कार्यकाल के लिए पार्टी के नेता के रूप में फिर से चुना गया।

तमाकी ने अपने भाषण में, आगामी आम चुनावों की तैयारी के लिए मुद्दों के संदर्भ में सुधार के लिए विभिन्न संबंधित दलों की राय सुनने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।स्थानीय मीडिया आउटलेट्स के अनुसार, पांच बार के प्रतिनिधि सभा सदस्य ने संभावित फेरबदल की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनकी कैबिनेट सदस्य बनने की कोई योजना नहीं है।

सितंबर 2020 में, कॉन्स्टिट्यूशनल डेमोक्रेटिक पार्टी (सीडीपी) और तत्कालीन डीपीपी के विलय के बाद जापान की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी उभरी। पार्टी ने सीडीपी का नाम बरकरार रखा।

हालांकि, तमाकी सहित जापानी संसद के 10 से अधिक सदस्यों ने सीडीपी में शामिल नहीं होने का फैसला किया और इसके बजाय नई डीपीपी की स्थापना की। उसी साल दिसंबर में तमाकी को इस नवगठित पार्टी का नेता चुना गया।

 

 

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बाइडेन-मोदी 8 को करेंगे द्विपक्षीय बैठक

 अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन 7 सितंबर को भारत के दौरे पर आ रहे हैं। वो 9-10 सितंबर को दिल्ली में होने वाली G-20 समिट में शामिल होंगे। इससे ठीक एक दिन पहले 8 सितंबर को बाइडेन PM मोदी के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। शनिवार को व्हाइट हाउस ने ये जानकारी दी।

व्हाइट हाउस ने बताया- दोनों नेताओं के बीच रूस-यूक्रेन जंग पर बातचीत होगी। इस दौरान इकोनॉमिक और सोशल लेवल पर जंग के असर को कम करने पर चर्चा होगी। इसके अलावा दोनों नेता गरीबी से लड़ने के लिए वर्ल्ड बैंक सहित दूसरे मल्टीलेटरल डेवलपमेंट बैंक की क्षमता बढ़ाने और दूसरे कई ग्लोबल चैलेंज पर भी बात करेंगे।

जी-20 में पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना करेगा अमेरिका
दिल्ली यात्रा के दौरान बाइडेन G-20 के लिए PM मोदी के नेतृत्व की भी सराहना करेंगे। साथ ही वो आर्थिक सहयोग के प्रमुख मंच के तौर पर G-20 के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि करेंगे। 2026 में अमेरिका ही G-20 समिट की मेजबानी करने वाला है।

बाइडेन भारत में हो रहे G-20 समिट में शामिल होने की पुष्टि करने वाले शुरुआती नेताओं में से एक हैं। भारत दौरे के वक्त वो दिल्ली के ITC मौर्या होटल में रुकेंगे। बाइडेन की सुरक्षा के लिए अमेरिका की सीक्रेट सर्विस की टीम 3 दिन पहले ही भारत पहुंच जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाइडेन सीक्रेट सर्विस के 300 कमांडो के सुरक्षा घेरे में रहेंगे।

बाइडेन के लिए भारत आ सकती है सबसे सुरक्षित 'द बीस्ट' कार
दिल्ली की सड़कों पर निकलने वाला सबसे बड़ा काफिला भी उनका ही होगा, जिसमें 55-60 गाड़ियां शामिल होंगी। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाइडेन के लिए दुनिया की सबसे सेफ कार ‘द बीस्ट’ को भी भारत लाया जा सकता है। इसी कार में बैठकर वो G-20 समिट के लिए जाएंगे।

बाइडेन के अलावा इस समिट में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों, ऑस्ट्रेलिया के PM एंथनी अल्बनीज, जापान के PM किशिदा, सहित कई बेड़ा नेता मौजूद रहेंगे। रूस के राष्ट्रपति पुतिन पहले ही समिट न शामिल होने की बात कह चुके हैं। उन्होंने PM मोदी को फोन करके इसकी जानकारी दी थी। उनकी जगह रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव शिखर सम्मेलन में मौजूद रहेंगे।

समिट में जिनपिंग के शामिल होने पर सस्पेंस
दूसरी तरफ समिट में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शामिल होने पर भी संदेह बना हुआ है। रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि जिनपिंग इस सम्मेलन में नहीं जाएंगे। उनकी जगह चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग मौजूद रहेंगे। हालांकि, अभी चीन या भारत की तरफ से इसकी पुष्टि नहीं की गई है। बता दें कि ये पहला मौका है जब भारत इस समिट की मेजबानी कर रहा है।

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नासा के मंगल हेलीकॉप्टर ने मंगल ग्रह पर 56 उड़ानें पूरी की

लॉस एंजिल्स: नासा के मंगल हेलीकॉप्टर ने लाल ग्रह पर अपनी 56 उड़ानें पूरी कर ली। यह जानकारी एजेंसी ने गुरुवार को दी। नासा के अनुसार, मंगल हेलीकॉप्टर ने 25 अगस्त को अपनी 56वीं उड़ान शुरु की थी, जिसमें वह 12 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचा और 141 सेकंड में 410 मीटर की यात्रा की।

इंजेनुइटी नामक यह हेलीकॉप्टर 18 फरवरी, 2021 को मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर पर पहुंचा था, जो नासा के पर्सिवरेंस रोवर से जुड़ा हुआ था। यह हेलीकॉप्टर एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन है, जिसे किसी अन्य ग्रह पर संचालित उड़ान का परीक्षण करने के लिए पहली बार डिजाइन किया गया है।

नासा के अनुसार, हेलीकॉप्टर को 90 सेकंड तक उड़ान भरने, एक समय में लगभग 300 मीटर की दूरी तक करने और जमीन से लगभग तीन से 4.5 मीटर की दूरी तक उडने के लिए डिज़ाइन किया गया था। नासा के अनुसार, अब तक, इस हेलीकॉप्टर ने मंगल ग्रह पर 100.2 उड़ान मिनट पूरा किया है, 12.9 किलोमीटर की दूरी तय की है और 18 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचा है।

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इंडोनेशिया में भूकंप के तेज झटके

 इंडोनेशिया के बाली सागर क्षेत्र में मंगलवार देर रात को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.0 आंकी गई है।

समाचार एजेंसी रायटर्स ने यूरोपीय भूमध्यसागरीय भूकंप विज्ञान केंद्र के हवाले से यह जानकारी दी। इस तेज भूकंप के कारण अभी तक कितनी जनहानि हुई है, इस बारे में अभी तक कोई भी जानकारी सामने नहीं आई है।

सुनामी आने की आशंका नहीं
यूरोपीय भूमध्यसागरीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने कहा कि भूकंप का केंद्र इंडोनेशिया के मातरम से 203 किमी उत्तर की ओर था। यह केंद्र धरती की सतह से 516 किमी की गहराई पर था। इंडोनेशिया में आए इस भूकंप की तीव्रता अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने आंकी है। अमेरिकी सुनामी चेतावनी प्रणाली ने जानकारी दी है कि समुद्र की गहराई में आए भूकंप के कारण सुनामी का कोई खतरा नहीं है।

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सेहत : डेंगू व मलेरिया की तरह ही मच्छरों से फैलती है ये बीमारी

 जीका वायरस का पहला मामला मुंबई के चेंबूर में सामने आया है जहां, 79 वर्षीय व्यक्ति बुखार, खांसी और बंद नाक से पीड़ित था। इसके बाद से आम लोगों को जीका वायरस के प्रति सतर्क रहने के लिए कहा गया है। लेकिन, किसी भी बीमारी से बचने के लिए इनके कारणों और लक्षणों के बारे में जानना बेहद जरूरी है।  जैसे कि जीका वायरस (Zika Virus) मच्छर जनित बीमारी है जो कि एडीज एजिप्टी मच्छरों के जरिए फैलती है। इसके बाद इसमें शरीर में कई लक्षण नजर आते हैं। क्यों और कैसे, जानते हैं इस बारे में विस्तार से।


दिन में काटता है जीका वायरस का मच्छर
WHO की मानें तो, ये मच्छर दिन में काटता है और ये गर्भवती मां से उसके बच्चे तक फैल सकता है। जीका वायरस संक्रमण वयस्कों और बच्चों में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम, न्यूरोपैथी और मायलाइटिस से जुड़ा हुआ है। होता ये है कि ये मच्छर अगर किसी संक्रमित व्यक्ति को काट ले और फिर ये किसी दूसरे संक्रमित व्यक्ति को काट ले तो, ये इंफेक्शन का चेन चलता जाता है और ये संक्रामक बीमारी फैल सकती है।

जीका वायरस के लक्षण
WHO की मानें तो जीका वायरस के अधिकांश मामलों में लक्षण विकसित नहीं होते हैं।  इसके अलावा जिल लोगों में लक्षण नजर आते हैं उनमें आमतौर पर
शरीर में दाने या कहें कि रैशेज
बुखार
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
सिरदर्द जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं हैं जो 2-7 दिनों तक रह सकते हैं।
इसके अलावा कुछ रिपोर्ट्स बताते हैं कि मच्छर के काटने के 3–14 दिन बाद लक्षण महसूस होते हैं।  इसमें आपको ऊपर बताए गए लक्षणों के अलावा ये चीजें भी महसूस हो सकती हैं। जैसे कि कंजक्टिवाइटिस, जोड़ों में दर्द, मसल्स पेन और लंबे समय तक रहने वाला सिर दर्द।

किन बातों का रखें ध्यान
WHO की फैक्टशीट के हिसाब से अभी तक जीका वायरस का टीका नहीं आया है। ऐसे में आप सिर्फ दो चीजों का ध्यान रख सकते हैं। पहली चीज इंफेक्शन के लक्षण आते ही डॉक्टर से बात करें और अपनी जांच करवाएं। दूसरा, आप अच्छरों से बचें और इसके लिए वही सब करें जो कि आप बाकी मच्छर जनित बीमारियों से बचने के लिए करते हैं। जैसे मलेरिया और डेंगू। तो, अपने आस-पास साफ पानी जमा न होने दें, घर में साफ-सफाई रखें। खिड़की दरवाजों को बंद रखें, अपने हाथ-पैर पर एंटी मलेरियल क्रीम लगाएं और फिर रात को मच्छरदानी लगाकर सोएं।

 

 

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रहस्यमय भारतीय चील-उल्लू

 भारतीय चील-उल्लू  को कुछ वर्षों पूर्व ही एक अलग प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया था और इसे युरेशियन चील-उल्लू से अलग पहचान मिली थी। भारतीय प्रजाति सचमुच एक शानदार पक्षी है। मादा नर से थोड़ी बड़ी होती है और ढाई फीट तक लंबी हो सकती है, और उसके डैनों का फैलाव छह फीट तक हो सकता है।

इनके विशिष्ट कान सिर पर सींग की तरह उभरे हुए दिखाई देते हैं। इस बनावट के पीछे एक तर्क यह दिया जाता है कि ये इन्हें डरावना रूप देने के लिए विकसित हुए हैं ताकि शिकारी दूर रहें। यदि यह सही है, तो ये सींग वास्तव में अपना काम करते हैं और डरावना आभास देते हैं।

निशाचर होने के कारण इस पक्षी के बारे में बहुत कम मालूमात हैं। इनके विस्तृत फैलाव (संपूर्ण भारतीय प्रायद्वीप) से लगता है कि इनकी आबादी काफी स्थिर है। लेकिन पक्के तौर पर कहा नहीं जा सकता क्योंकि ये बहुत आम पक्षी नहीं हैं। इनकी कुल संख्या की कभी गणना नहीं की गई है। हमारे देश में वन क्षेत्र में कमी होते जाने से आज कई पक्षी प्रजातियों की संख्या कम हो रही है। लेकिन भारतीय चील-उल्लू वनों पर निर्भर नहीं है। उनका सामान्य भोजन, जैसे चूहे, बैंडिकूट और यहां तक कि चमगादड़ और कबूतर तो झाड़-झंखाड़ और खेतों में आसानी से मिल जाते हैं। आसपास की चट्टानी जगहें इनके घोंसले बनाने के लिए आदर्श स्थान हैं।

मिथक, अंधविश्वास

मानव बस्तियों के पास ये आम के पेड़ पर रहना पसंद करते हैं। ग्रामीण भारत में, इस पक्षी और इसकी तेज़ आवाज़ को लेकर कई अंधविश्वास हैं। इनका आना या इनकी आवाज़ अपशकुन मानी जाती है। प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सलीम अली ने लोककथाओं का दस्तावेज़ीकरण किया है जो यह कहती हैं कि चील-उल्लू को पकड़कर उसे पिंजरे में कैद कर भूखा रखा जाए तो यह मनुष्य की आवाज़ में बोलता है और लोगों का भविष्य बताता है।

उल्लू द्वारा भविष्यवाणी करने सम्बंधी ऐसे ही मिथक यूनानी से लेकर एज़्टेक तक कई संस्कृतियों में व्याप्त हैं। कहीं माना जाता है कि वे भविष्यवाणी कर सकते हैं कि युद्ध में कौन जीतेगा, तो कहीं माना जाता है कि आने वाले खतरों की चेतावनी दे सकते हैं। लेकिन हम उन्हें ज्ञान से भी जोड़ते हैं। देवी लक्ष्मी का वाहन उल्लू (उलूक) ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

भारतीय चील-उल्लू से जुड़े नकारात्मक अंधविश्वास हमें इनके घोंसले वाली जगहों पर इनकी उग्र सुरक्षात्मक रणनीति पर विचार करने को मजबूर करते हैं। इनके घोंसले चट्टान पर खरोंचकर बनाए गोल कटोरेनुमा संरचना से अधिक कुछ नहीं होते, जिसमें ये चार तक अंडे देते हैं। इनके खुले घोंसले किसी नेवले या इंसान की आसान पहुंच में होते हैं। यदि कोई इनके घोंसले की ओर कूच करता है तो ये उल्लू खूब शोर मचाकर उपद्रवी व्यवहार करते हैं, और घुसपैठिये के सिर पर पीछे की ओर से अपने पंजे से झपट्टा मारकर वार करते हैं।

खेती में लाभकारी

इन उल्लुओं की मौजूदगी से किसानों को निश्चित ही लाभ होता है। एला फाउंडेशन और भारतीय प्राणि वैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा किए गए शोध से पता चलता है कि झाड़-झंखाड़ के पास घोंसले बनाने वाले भारतीय चील-उल्लुओं की तुलना में खेतों के पास घोंसले बनाने वाले भारतीय चील-उल्लू संख्या में अधिक और स्वस्थ होते हैं। ज़ाहिर है, उन्हें चूहे वगैरह कृंतक जीव बड़ी संख्या में मिलते होंगे। और उल्लुओं के होने से किसानों को भी राहत मिलती होगी।

इन उल्लुओं का भविष्य क्या है? भारत में पक्षियों के प्रति रुचि बढ़ती दिख रही है। पक्षी निरीक्षण (बर्ड वॉचिंग),  जिसे एक शौक कहा जाता है, अधिकाधिक उत्साही लोगों को लुभा रहा है। ये लोग पक्षियों की गणना, सर्वेक्षण और प्रवासन क्षेत्रों का डैटा जुटाने में योगदान दे रहे हैं। लेकिन यह काम अधिकतर दिन के उजाले में किया जाता है जिसमें उल्लुओं के दर्शन प्राय: कम होते हैं। उम्मीद है कि भारतीय चील-उल्लू जैसे निशाचर पक्षियों के भी दिन (रात) फिरेंगे। (स्रोत फीचर्स) 

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शुक्र पर जीवन की तलाश

 पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावना का विचार हमेशा से सभी को आकर्षित करता रहा है। जीवन की संभावना वाले ग्रहों की सूची में मंगल के अलावा शुक्र भी शामिल हो चुका है। इसका कारण पिछले डेढ़-दो दशक में शुक्र के वातावरण में घटित हो रही रासायनिक प्रक्रियाओं को लेकर हमारी समझ में हुई वृद्धि है। हाल ही में कार्डिफ युनिवर्सिटी के जेन ग्रीव्स की टीम ने खगोल विज्ञान की एक राष्ट्रीय गोष्ठी में शुक्र पर जीवन योग्य परिस्थितियों की मौजूदगी को लेकर एक शोध पत्र प्रस्तुत किया है। इस शोध पत्र का निष्कर्ष है कि शुक्र के तपते और विषैले वायुमंडल में फॉस्फीन नामक एक गैस है जो वहां जीवन की उपस्थिति का संकेत हो सकती है।

पूर्व में कार्डिफ युनिवर्सिटी के ही शोधकर्ताओं ने शुक्र के वातावरण में फॉस्फीन के स्रोतों का पता लगाकर हलचल मचा दी थी। हालांकि तब कई प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने शुक्र के घने कार्बन डाईऑक्साइड युक्त वातावरण, सतह के अत्यधिक तापमान व दाब और सल्फ्यूरिक अम्ल के बादलों जैसी बिलकुल प्रतिकूल परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस शोध को खारिज कर दिया था। लेकिन अब हवाई स्थित जेम्स क्लार्क मैक्सवेल टेलीस्कोप (जेसीएमटी) और चिली स्थित एटाकामा लार्ज मिलीमीटर ऐरे रेडियो टेलीस्कोप की सहायता से ग्रीव्‍स को शुक्र के वायुमंडल के निचले क्षेत्र में फॉस्फीन की मौजूदगी के सशक्त प्रमाण मिले हैं। इससे शुक्र के अम्लीय बादलों में सूक्ष्म जीवों की मौजूदगी की उम्मीदें पुनर्जीवित हो गई हैं।वैज्ञानिकों के मुताबिक शुक्र के वातावरण में 96 प्रतिशत कार्बन डाईऑक्साइड है, लेकिन फॉस्फीन का मिलना अपने आप में बेहद असाधारण बात है क्योंकि यह एक सशक्त बायो सिग्नेचर (जैव-चिन्ह) है। फॉस्फीन को एक बायो सिग्नेचर मानने का एक बड़ा कारण है पृथ्वी पर फॉस्फीन का सम्बंध जीवन से है। फॉस्फीन गैस के एक अणु में तीन हाइड्रोजन परमाणुओं से घिरे फॉस्फोरस परमाणु होते हैं, जैसे अमोनिया में तीन हाइड्रोजन परमाणुओं से घिरे नाइट्रोजन परमाणु होते हैं। पृथ्वी पर यह गैस औद्योगिक प्रक्रियाओं से बनती है। यह कुछ अनॉक्सी जीवाणुओं द्वारा भी निर्मित होती है जो ऑक्सीजन-विरल वातावरण में रहते हैं, जैसे सीवर, भराव क्षेत्र या दलदल में। सूक्ष्मजीव यह गैस ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में उत्सर्जित करते हैं।  

शुक्र पर फॉस्फीन की खोज के दो मायने हैं। एक, शुक्र पर जीवित सूक्ष्मजीव हो सकते हैं - शुक्र की सतह पर नहीं बल्कि उसके बादलों में, क्योंकि शुक्र की सतह किसी भी प्रकार के जीवन के अनुकूल नहीं है। उल्लेखनीय है कि फॉस्फीन या उसके स्रोत जिन बादलों में मिले हैं वहां तापमान 30 डिग्री सेल्सियस था। दूसरा, यह उन भूगर्भीय या रासायनिक प्रक्रियाओं से निर्मित हो सकती है, जो हमें पृथ्वी पर नहीं दिखती। ऐसे में इस खोज से यह दावा नहीं किया जा सकता कि हमने वहां जीवन खोज लिया है। लेकिन यह भी नहीं कह सकते कि वहां जीवन नहीं है। यह खोज अंतरिक्ष-अन्वेषण के लिए नए द्वार खोलती है। (स्रोत फीचर्स) 

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पीएम नरेंद्र मोदी का ग्रीस में हुआ सम्मान

 भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने एक दिवसीय दौरे पर ग्रीस की राजधानी एथेंस पहुंचे। 40 साल में यह पहला ऐसा मौका है जब एक भारतीय प्रधानमंत्री ग्रीस के दौरे पर गए हैं।


पीएम मोदी दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेकर सीधे एथेंस पहुंचे। एथेंस एयरपोर्ट पर ग्रीस के विदेश मंत्री जॉर्ज गेरापैट्रिटिस ने पीएम मोदी को रिसीव किया। साथ ही पीएम मोदी का राजकीय तरीके से स्वागत भी हुआ। इतना ही नहीं, पीएम मोदी को आज ग्रीस के द्वितीय सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी नवाज़ा गया।

पीएम मोदी को द ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ ऑनर से गया नवाज़ा
पीएम मोदी को आज ग्रीस की राष्ट्रपति कैटरीना साकेलारोपोउलोउ  ने ग्रीस के द्वितीय सर्वोच्च नागरिक सम्मान द ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ ऑनर से नवाज़ा।

पीएम मोदी ने दिया धन्यवाद
द ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ ऑनर से नवाज़े जाने पर पीएम मोदी ने ग्रीस की राष्ट्रपति, सरकार और देशवासियों को धन्यवाद दिया। पीएम मोदी ने इस सम्मान को 140 करोड़ भारतीयों की ओर से स्वीकार किया और इसे ग्रीस के लोगों की तरफ से भारत के लिए सम्मान बताया।

दोनों देशों के संबंधों में मज़बूती पर की चर्चा
पीएम मोदी ने ग्रीस की राष्ट्रपति साकेलारोपोउलोउ से दोनों देशों के संबंधों में मज़बूती के साथ ही विकास के कार्यों पर भी चर्चा की। साथ ही साकेलारोपोउलोउ ने चंद्रयान-3 की सफलता के लिए भारत को बधाई भी दी।

ग्रीस के पीएम से कई अहम विषयों पर चर्चा के साथ प्रेस मीटिंग को भी किया संबोधित
पीएम मोदी ने ग्रीस के पीएम किरियाकोस मित्सोताकिस के साथ प्रेस मीटिंग को भी संबोधित किया और कई विषयों पर बात की। साथ ही पीएम मोदी ने मित्सोताकिस के साथ भारत और ग्रीस के संबंधों में मज़बूती लाने, स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को बढ़ाने, डिफेंस, सिक्योरिटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, एग्रीकल्चर, स्किल्स, व्यापार को बढ़ाने, माइग्रेशन एंड मोबिलिटी पार्टनरशिप और शैक्षणिक संस्थानों को लेकर दोनों देशों के संबंधों में मज़बूती लाने की दिशा में कार्य करने जैसे विषयों पर चर्चा की।

 

 

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डोनाल्ड ट्रंप ने किया सरेंडर, 20 मिनट जेल में रहे

अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड जॉन ट्रंप को गिरफ्तार कर लिया गया है। डोनाल्ड ट्रंप पर अवैध रूप से उस राज्य में 2020 के चुनाव को पलटने की साजिश रचने का आरोप है। ट्रंप के लिए कानूनी शिकंजा लगातार कसता जा रहा है।

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आत्मसमर्पण करने के लिए गुरुवार शाम को जॉर्जिया की एक जेल में पहुंचे। जेल रिकॉर्ड के मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुकिंग प्रक्रिया पूरी की और उन्हें 200,000 डॉलर के बांड और अन्य शर्तों पर रिहाई दी गई है।

कोर्ट ने ट्रंप को आत्मसमर्पण करने का विकल्प दिया था। अदालत के सुझाव के बाद ट्रंप समेत इस मामले में आरोपी बनाए गए कुल 19 अन्य लोगों ने भी गिरफ्तार किया है।

कैदी नंबर P01135809 बन 20 मिनट जेल में रहे
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने गिरफ्तारी के बाद फुल्टन काउंटी जेल से बॉन्ड पर रिहा होने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया। उधर फुल्टन काउंटी शेरिफ कार्यालय ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का एक मग शॉट जारी किया है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक जेल रिकॉर्ड से पता चलता है कि ट्रंप को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें कैदी नंबर P01135809 के रूप में दर्ज किया गया था। हालांकि 20 मिनट में उनको जेल से रिहा कर दिया गया।

जानिए क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि 2020 के अमरीकी चुनाव के परिणामों को पलटने के डोनाल्ड ट्रम्प के प्रयासों की जांच की गई। इस मामले में विशेष वकील ने 45 पेज की चार्जशीट दायर की थी। इसमें ट्रंप के खिलाफ 4 आरोप लगाए गए थे।
अमरीका को धोखा देने की साजिश का अरोप
आधिकारिक कार्यवाही में बाधा डालने की साजिश का आरोप
किसी आधिकारिक कार्यवाही में बाधा डालना और बाधा डालने का प्रयास करना का आरोप
अधिकारों के खिलाफ साजिश का आरोप

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मलेरिया के विरुद्ध नई रणनीति

 मलेरिया आज भी एक बड़ी वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है। इससे हर वर्ष पांच लाख से अधिक मौतें होती हैं जिसमें अधिकांश 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे होते हैं। मच्छरों में कीटनाशकों के खिलाफ प्रतिरोध पैदा हो जाता है और टीकाकरण आंशिक सुरक्षा ही प्रदान करता है। इनके चलते नियंत्रण के प्रयास विफल रहे हैं। अब, वैज्ञानिकों ने मलेरिया की रोकथाम के लिए एक नया तरीका खोज निकाला है। यदि मच्छरों को एक कुदरती बैक्टीरिया खिलाया जाए तो उनकी आंतों में मलेरिया परजीवी (प्लाज़्मोडियम) के विकास को रोका जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने पहले भी मच्छर जनित बीमारियों से निपटने के लिए रोगाणुओं की क्षमता पर प्रयोग किए हैं। इस दौरान वोल्बाचिया पिपिएंटिस बैक्टीरिया ने डेंगू बुखार के विरुद्ध सकारात्मक परिणाम दिए हैं। मलेरिया परजीवी प्लाज़्मोडियम को रोकने के लिए अक्सर आनुवंशिक रूप से संशोधित बैक्टीरिया पर काम हुआ है। लेकिन नियामक अनुमोदन की अड़चनें और पारिस्थितिक प्रभाव इस प्रकार के संशोधन के मार्ग में बाधा बन जाते हैं।

हाल ही में साइंस में प्रकाशित अध्ययन ने आशाजनक विकल्प प्रस्तुत किया है। शोधकर्ताओं को संयोगवश एक प्राकृतिक बैक्टीरिया डेल्फ्टिया सुरुहेटेंसिस टीसी1 का पता चला जो मच्छरों में मलेरिया परजीवी के विकास को रोकता है। गौरतलब है कि इस बैक्टीरिया का प्रभाव जेनेटिक परिवर्तन के बिना होता है। मच्छरों की आंत में उपस्थित डी. सुरुहेटेंसिस टीसी1 बैक्टीरिया प्लाज़्मोडियम का विकास रोकता है और इसके अंडों की संख्या को 75 प्रतिशत तक कम कर देता है। इसका परीक्षण करने पर शोधकर्ताओं ने पाया कि डी. सुरुहेटेंसिस टीसी1 बैक्टीरियम संक्रमित मच्छरों के दंश से ग्रस्त चूहों में सिर्फ तिहाई ही मलेरिया से पीड़ित हुए जबकि सामान्य मच्छरों द्वारा काटे गए सभी चूहे मलेरिया से संक्रमित हुए।

चूंकि यह बैक्टीरिया मच्छर या उसकी संतानों के जीवित रहने पर प्रभाव नहीं डालता इसलिए मच्छरों में इसके खिलाफ प्रतिरोध विकसित होने की संभावना कम है। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया है कि यह बैक्टीरिया हारमैन नामक एक अणु भी मुक्त करता है। यह अणु पौधों में भी पाया जाता है जिसका उपयोग कहीं-कहीं परंपरागत चिकित्सा में होता है। यह अणु प्लाज़्मोडियम की विकास प्रक्रिया को रोकता है। 

मच्छरों के शरीर में हारमैन किसी सतह से भी आ सकता है। इसका एक मतलब यह भी है कि हारमैन का उपयोग मच्छरों में प्लाज़्मोडियम का विकास रोकने में किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने बुर्किना फासो में इसका परीक्षण भी किया। उन्होंने पहले तो मच्छरों को डी. सुरुहेटेंसिस टीसी1 खाने पर मजबूर किया। इन मच्छरों ने संक्रमित व्यक्तियों का खून पीया तो इनके शरीर में परजीवी का विकास प्रभावी ढंग से अवरुद्ध हो गया।

शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण बात यह बताई है कि यह बैक्टीरिया एक से दूसरे मच्छर में नहीं पहुंचता जो एक अच्छी बात है। संभवत: जल्द ही हमारे पास बैक्टीरिया के चूर्ण या हारमैन के रूप में कोई मलेरिया-रोधी उत्पाद होगा।

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मोदी ने ब्रिक्स देशों से अंतरिक्ष अन्वेषण संघ बनाने का किया आह्वान

 जोहान्सबर्ग: प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी ने बुधवार को ब्रिक्स देशों से ‘ब्रिक्स अंतरिक्ष अन्वेषण संघ’ बनाने का आह्वान किया, जो कि अंतरिक्ष अनुसंधान एवं मौसम निगरानी पर ध्यान केंद्रित करेगा। दक्षिण अफ्रीका में 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हम पहले से ही ब्रिक्स उपग्रह नक्षत्र पर काम कर रहे हैं, लेकिन एक कदम आगे बढ़ने के लिए हमें ब्रिक्स अंतरिक्ष अन्वेषण संघ स्थापित करने पर सोचने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि ब्रिक्स को भविष्य के लिए तैयार संगठन बनाने के लिए संबंधित समाजों को भी भविष्य के लिए तैयार करना होगा और प्रौद्योगिकी इस परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स ने पिछले दो दशकों की एक लंबी और शानदार यात्रा की है और इस यात्रा में इसने कई उपलब्धियां हासिल की है।

उन्होंने ब्रिक्स देशों से जी-20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करने में समर्थन देने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा, हम दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में ब्रिक्स में वैश्विक दक्षिण देशों को विशेष महत्व देने के कदम का स्वागत करते हैं। भारत ने भी अपनी जी-20 की अध्यक्षता में इस विषय को महत्व दिया है।

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भारत की विकास यात्रा में सहभागी बनें ब्रिक्स के राष्ट्र: मोदी

जोहान्सबर्ग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परस्पर विश्वास विश्वास एवं पारदर्शिता के साथ ब्रिक्स देशों के बीच लचीली और समावेशी आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण के महत्व को रेखांकित किया तथा ब्रिक्स देशों से भारत की विकास यात्रा में सहभागी बनने का आह्वान किया। श्री मोदी ने यहाँ ब्रिक्स बिजनेस फोरम के विचार-विमर्श के बाद उनके बारे में जानकारी ली।

प्रधानमंत्री ने सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों सहित व्यापार करने में आसानी हेतु सुधार के लिए भारत द्वारा किए जा रहे विभिन्न सुधारों पर प्रकाश डाला।

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ब्राजील में बस दुर्घटना में 7 फुटबॉल प्रशंसकों की मौत

  ब्राजील में भीषण सड़क हादसा हुआ है। इस सड़क हादसे में कई फुटबॉल प्रशंसकों की मौत हो गई है।

फुटबॉल प्रेमी देश ब्राजील में इस खेल के प्रशंसकों की मौत से ब्राजील में शोक की लहर है। जानकारी के अनुसार एक पहाड़ी सड़क पर फुटबॉल प्रशंसकों को ले जा रही बस के चालक का नियंत्रण खो गया और भयानक सड़क दुर्घटना हो गई। यह बस ब्राजीलियाई फुटबॉल टीम कोरिंथियंस के प्रशंसकों को ले जा रही थी, जो कि बेलो होरिजोंटे शहर में एक मैच के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। पुलिस ने बताया कि इस हादसे में लगभग 7 लोगों की मौत हो गई और 36 अन्य घायल हो गए।

टक्कर से बचने की कोशिश में पलटी बस
मारे गए सातों लोग कोरिंथियंस के समर्थकों के एक क्लब गेवियोस दा फिएल के सदस्य थे। वे शनिवार शाम ब्राजीलियाई चैंपियनशिप गेम में क्रूजेरो के साथ अपनी टीम का 1-1 से ड्रा देखने के लिए पूर्वोत्तर साओ पाउलो राज्य के तौबाटे शहर से आए थे। यात्रियों ने स्थानीय मीडिया को बताया कि दूसरी बस से आमने-सामने की टक्कर से बचने के प्रयास में बस का नियंत्रण खो गया और वह पलट गई। जानकारी के अनुसार पीड़ितों के परिवारों को सहायता दी जाएगी। अन्य ब्राजीलियाई क्लबों ने भी दुर्घटना पर दुख व्यक्त किया।

हादसे पर राष्ट्रपति ने जताया दुख
राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने भी इस हादसे पर शोक जताया। दरअसल, राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा भी इस क्लब के प्रशंसकों में से एक हैं।

बस का कंट्रोल खोते ही चिल्लाया था ड्राइवर
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यात्रियों ने कहा कि नियंत्रण खोने से कुछ समय पहले ड्राइवर ने चिल्लाकर कहा कि बस ब्रेक काम नहीं कर रहे हैं। साओ पाउलो के कोरिंथियंस फुटबॉल क्लब के 40 से अधिक प्रशंसक बस में सवार थे, जो एक रात पहले बेलो होरिजोंटे में एक मैच से लौट रहे थे। देश की राष्ट्रीय भूमि परिवहन एजेंसी (एएनटीटी) ने एक बयान में कहा कि बस अपंजीकृत थी और राज्यों के बीच यात्रियों को ले जाने के लिए उसके पास प्राधिकरण नहीं था। पूरे ब्राजील के क्लबों के साथ-साथ ब्राज़ीलियाई फुटबॉल परिसंघ ने पीड़ितों के परिवारों और दोस्तों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।

 

 

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छत्ता निर्माण की साझा ज्यामिति

 हाल ही में मधुमक्खियों और ततैयों पर किए गए एक अध्ययन से आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए हैं। प्लॉस बायोलॉजी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार जैव विकास की राह में 18 करोड़ वर्ष पूर्व अलग-अलग रास्तों पर चल पड़ने के बावजूद मधुमक्खियों और ततैयों दोनों समूहों ने छत्ता निर्माण की जटिल ज्यामितीय समस्या से निपटने के लिए एक जैसी तरकीब अपनाई है।

गौरतलब है कि मधुमक्खियों और ततैयों के छत्ते छोटे-छोटे षट्कोणीय प्रकोष्ठों से मिलकर बने होते हैं। इस प्रकार की संरचना में निर्माण सामग्री कम लगती है, भंडारण के लिए अधिकतम स्थान मिलता है और स्थिरता भी रहती है। लेकिन रानी मक्खी जैसे कुछ सदस्यों के लिए बड़े आकार के प्रकोष्ठ बनाना होता है और उनको समायोजित करना एक चुनौती होती है। यदि कुछ प्रकोष्ठ का आकार बड़ा हो जाए तो ये छत्ते में ठीक से फिट नहीं होंगे और छत्ता कमज़ोर बनेगा।

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रूस का लूना-25 अंतरिक्ष यान चंद्रमा से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त

 रूस का लूना-25 अंतरिक्ष यान अनियंत्रित कक्षा में घूमने के बाद चंद्रमा से टकराकर रविवार को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। लगभग 50 वर्ष बाद इस देश का यह पहला चंद्र अभियान था। मानवरहित यह अंतरिक्ष यान सोमवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' करने वाला था।

इस अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के एक भाग का पता लगाने के लिए सोमवार को चांद की सतह पर साफ़्ट लैंडिंग करना था, जिसके बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां पर जमे हुए पानी और कीमती तत्व हो सकते हैं। रूस के सरकारी अंतरिक्ष कॉर्पोरेशन, रोस्कोस्मोस ने कहा कि समस्याग्रस्त होने के कुछ ही देर बाद उनका संपर्क लूना-25 से टूट गया।

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पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार ने यासीन मलिक की पत्‍नी को अहम पद दिया

इस्लामाबाद:  पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार और उसके मंत्रिमंडल ने गुरुवार को आधिकारिक तौर पर कार्यभार संभाल लिया और चयनित कैबिनेट सदस्यों ने राष्ट्रपति भवन में शपथ ली। संघीय मंत्रालयों के लिए मंत्रियों के चयन ने अन्य राजनीतिक ताकतों की चिंताएं बढ़ा दी हैं, लेकिन यह भी संकेत दे दिया है कि पाकिस्तान अपनी विदेश नीति, खासकर अपने कट्टर पड़ोसी भारत के प्रति किस तरह की सोच रखेगा।

कैबिनेट के सबसे महत्वपूर्ण सदस्‍य जलील अब्बास जिलानी हैं। वह अनुभवी राजनयिक हैं और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) और यूरोपीय संघ (ईयू) में राजदूत के रूप में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

जिलानी वर्ष 1999 से 2003 के बीच भारत में उप उच्चायुक्त भी रहे और वर्ष 2007 से 2009 तक ऑस्ट्रेलिया में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे। इससे पहले, जिलानी ने मार्च 2012 से दिसंबर 2013 तक पाकिस्तान के विदेश सचिव के रूप में भी कार्य किया था। जिलानी की नियुक्ति पाकिस्तान की विदेश नीति की दिशा को दर्शाती है। उन्‍हें पश्चिम के साथ रिश्ते सुधारने हैं और भारत के प्रति नीतिगत प्रतिक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करना है। 

एक और महत्वपूर्ण नियुक्ति मानवाधिकार पर प्रधानमंत्री के विशेष सहायक (एसएपीएम) की हुई है। यह पद कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक की पत्‍नी मुशाल हुसैन मलिक को दी गई है।मुशाल हुसैन मलिक कश्मीर विवाद और अपने पति यासीन मलिक, जो भारतीय अधिकारियों की हिरासत में हैं, के बारे में मुखर रही हैं।

मुशाल की नियुक्ति कथित मानवाधिकार हनन के मद्देनजर कश्मीर के मुद्दे को उठाने, कश्मीरियों के लिए धर्म की स्वतंत्रता और बोलने की आजादी के अधिकार और इसे दुनिया के मंचों पर प्रदर्शित करने के लिए विदेश कार्यालय और मानवाधिकार मंत्रालय का उपयोग करने की पाकिस्तान की भविष्य की नीति का भी संकेत देती है।पाकिस्तान की कार्यवाहक व्यवस्था चार प्रमुख कारकों पर केंद्रित है, जैसे अर्थव्यवस्था, विदेश नीति, सुरक्षा और भारत से निपटना उसका मुख्य काम है।

 

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