दुनिया-जगत

ब्रिटेन सरकार ने असांजे के अमेरिका प्रत्यर्पण को मंजूरी दी, अपील की संभावना

लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन सरकार ने जासूसी के आरोपों में विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने की मंजूरी दे दी है। सरकार ने शुक्रवार को कहा कि गृह मंत्री प्रीति पटेल ने प्रत्यर्पण आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इससे पहले ब्रिटेन की एक अदालत ने व्यवस्था दी थी कि असांजे को अमेरिका प्रत्यर्पित किया जा सकता है।

अमेरिका भेजे जाने से बचने के लिए असांजे की वर्षों से कानूनी लड़ाई में यह एक बड़ा मोड़ है। हालांकि असांजे के प्रयासों का यह अंत नहीं है और उनके पास अपील करने के लिए 14 दिन का समय है।
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यूरोपीय नेताओं ने जेलेंस्की के प्रति समर्थन व्‍यक्‍त किया

कीव (छत्तीसगढ़ दर्पण)। यूरोपीय नेताओं ने कीव में हुई बैठक में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोद्योमीर जेलेंस्की के प्रति समर्थन व्‍यक्‍त किया। इस बैठक में यूरोपीय नेताओं ने यूरोपीय संघ से जुड़ने की कीव की उम्मीदवारी का समर्थन किया।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज और इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी ने जेलेंस्की के साथ एक साझा संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। 
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मंगल ग्रह पर कहां से आया 'मानवीय कचरा' ? रहस्यमयी तस्वीर के बारे में NASA ने ये बताया

वॉशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। नासा के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह की सतह पर एक ऐसी चीज देखी जो दूसरी दुनिया की तो है ही, वह असल में 'मानव का छोड़ा हुआ कचरा' है। यह चमकीली पन्नी की तरह का कचरा ऐसे स्थान पर मंगल के चट्टानों के बीच पड़ा था, जहां से नासा का पर्सीवरेंस रोवर भी काफी दूर है। काफी पड़ताल के बाद पता चला कि लाल ग्रह पर पहुंचे इस मानवीय कचरे के लिए नासा का मंगल मिशन ही जिम्मेदार है। जानिए कि वह पन्नी जैसी चमकीली चीज है क्या और कैसे मंगल ग्रह तक पहुंच गई है।

मंगल ग्रह पर कहां से आया 'मानवीय कचरा' ?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सीवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर चट्टानों के बीच पड़े एक रहस्यमयी चीज की तस्वीर खींची है। देखने में यह चमकीली पन्नी का टुकड़ा लग रहा है, जिसपर अनेकों स्पॉट भी स्पष्ट नजर आ रहे हैं। जब नासा के वैज्ञानिकों की नजर इस तस्वीर पर पड़ी तो वह सोचने मजबूर हो गए कि लाल ग्रह पर यह 'मानवीय कचरा' आया कहां से? क्योंकि, मंगल ग्रह के चट्टानों के बीच यह पूरी तरह से बाहरी दुनिया की वस्तु नजर आ रही थी। जब वैज्ञानिकों ने तस्वीर की गहन जांच की तो उन्हें अंदाजा हो गया कि इस 'मानवीय कचरे' के लिए खुद वही जिम्मेदार हैं। (पहली तस्वीर सौजन्य ट्विटर: NASA Perseverance Mars rover)

थर्मल ब्लैंकेट का हिस्सा है वह 'रहस्यमयी' चीज
दरअसल, वह रहस्यमयी चीज वास्तव में भी एक चमकीली पन्नी का टुकड़ा है, जो नासा के मुताबिक उस थर्मल ब्लैंकेट का हिस्सा है, जो मंगल की सतह पर रॉकेट से रोवर और इनजेनिटी मार्स हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के दौरान आया हो सकता है। लेकिन, एक बात अभी भी नासा के वैज्ञानिकों को समझ में नहीं आई है कि जिस जगह पर थर्मल ब्लैंकेट का हिस्सा पड़ा हुआ है, वह लैंडिंग वाली जगह से 2 किलो मीटर की दूरी पर है। वैज्ञानिक इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि यह टुकड़ा रॉकेट से यहीं पर गिरा था या फिर मंगल ग्रह की हवाओं से बहाकर लाया गया है।

पर्सीवरेंस रोवर टीम ने दी जानकारी
15 जून को पर्सीवरेंस रोवर टीम ने इसके बारे में ट्वीट करके जानकारी दी है। इसमें कहा गया है, 'मेरी टीम को कुछ अप्रत्याशित मिला है: यह थर्मल कंबल का एक टुकड़ा है जो उन्हें लगता है कि मेरे उतरने के चरण में आया हो सकता है, रॉकेट-पावर्ड जेट पैक जिसने मुझे 2021 में लैंडिंग के दिन यहां पर उतारा था।' 13 जून को रोवर के बाएं मास्टकैम-जेड कैमरे से खींची गई फोटो में, पन्नी का एक टुकड़ा जिसके चारों ओर डॉट्स मौजूद हैं, स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।

'सात मिनट का आंतक' के समय आता है काम
नासा के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी के एक प्रवक्ता एंड्र्यू गुड ने भी सीएनईटी से कहा कि वह टुकड़ा निश्चित तौर पर थर्मल ब्लैंकेट का हिस्सा है। लेकिन, उन्होंने कहा कि यह पता नहीं चल पाया है कि यह स्पेसक्राफ्ट के किस पार्ट से आया है। ये थर्मल कंबल वास्तव में महत्वपूर्ण समय में तापमान को नियंत्रित करने का काम करते हैं, जिसमें ग्रह पर एंट्री, नीचे उतरने और लैंडिंग की प्रक्रिया शामिल है। इस प्रक्रिया को ही 'सात मिनट का आंतक' के नाम से भी जानते हैं।

मंगल पर प्राचीन जीवन की खोज में लगा है रोवर
रोवर की सोशल मीडिया टीम ने उन लोगों के बारे में भी जानकारी साझा की है, जो इस तरह का थर्मल कंबल बनाते हैं। ट्वीट में लिखा है, 'उन्हें अंतरिक्ष यान ड्रेसमेकर के रूप में समझें। वे इन अनूठी चीजों को एक साथ जोड़ने के लिए सिलाई मशीनों और दूसरे उपकरणों के साथ काम करते हैं।' रोवर इस समय मंगल ग्रह पर जेजेरो क्रेटर के अंदर एक प्राचीन नदी डेल्टा क्षेत्र का अध्ययन कर रहा है, जिससे लाल ग्रह पर प्राचीन जीवन के प्रमाण मिलने की उम्मीद है।

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मंगल से धरती पर सैंपल लाकर किया जाएगा अध्ययन
मंगल का यह स्थान वहां के चट्टानों का सैंपल जुटाने और इतिहास में पानी की मौजूदगी के साक्ष्य जुटाने के लिए उपयुक्त है। नासा की योजना इन सैंपलों को धरती पर लाकर उनका विस्तार से अध्ययन करना है। इसके लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी के साथ साझेदारी की हुई है। इसके लिए मंगल के सैंपल की जांच के लिए 16 वैज्ञानिकों का ग्रुप बनाया गया है, जो आगे का भी रोडमैप तैयार करेगा।
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कौन है केविन ब्‍लाट, जिनके पास थे 50 फेमस एक्ट्रेस के 'सेक्स टेप', उनके बदले कमाए अरबों

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। इन दिनों केविन ब्‍लाट का नाम काफी ज्यादा सुर्खियों में है। कहा जाता है कि उनके पास कई बड़ी एक्ट्रेस के सेक्स टेप थे। जिसकी वजह से उन्होंने अरबों रुपये की कमाई की। हालांकि ज्यादातर मामलों में उन्होंने टेप रिलीज करने के बजाए उसे बर्बाद कर दिया। वो खुद को दुनिया का 'स्‍कैंडल स्‍पेशिलिस्‍ट' बताते हैं। हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें उनके बिजनेस को लेकर बड़ा खुलासा हुआ। 

एडल्ट इंडस्ट्री में करते थे काम
हॉलीवुड वालों ने केविन का नाम 'सेलिब्रेटी सेक्‍स टेप ब्रोकर' रखा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वो पहले ऑनलाइन एडल्ट इंडस्ट्री में काम करते थे। उसी दौरान उन्होंने 50 से ज्यादा फेमस हॉलीवुड एक्ट्रेस के टेप देखे। इसमें किम कार्दशियन का नाम भी शामिल है। 

किम से 156 करोड़ लिए?
केविन का दावा है कि उन्होंने अमेरिकन सिंगर रे जे के साथ इस सेक्स टेप को लेकर 156 करोड़ रुपये की कमाई की। ये घटना 2006 की है। हालांकि किम और रे दोनों इस तरह की घटना से इनकार कर चुके हैं।

ज्यादातर के नाम रखे सीक्रेट 
केविन के मुताबिक उन्होंने बहुत सारी एक्ट्रेस के सेक्स टेप से अरबों कमाए, लेकिन 70 प्रतिशत मामलों में उन्होंने टेप को बर्बाद कर दिया। साथ ही दुनिया को दो-तीन एक्ट्रेस को छोड़कर किसी का नाम नहीं बताया। उन्होंने अपनी निजी जिंदगी पर कहा कि वो 1996 में अमेरिका के कैलिफोर्निया शहर में शिफ्ट हुए थे। पहले उन्होंने नौकरी की लेकिन 2003 से वो सेक्स टेप से जुड़े धंधे में आ गए। 

पेरिस हिल्टन का टेप रिलीज 
केविन के मुताबिक 2003 के आसपास उनके एक फ्रेंड के पास अमेरिकी एक्ट्रेस पेरिस हिल्‍टन का सेक्स वीडियो था। जिसमें वो अपने बॉयफ्रेंड रिक सोलोमन के साथ नजर आ रही थीं। उस दौरान उन्होंने उसे 37 लाख में खरीदा, लेकिन कई लोगों ने उन पर 1.5 अरब का केस कर दिया। फिर 2003 में ये सेक्स वीडियो रिलीज हो गया। कहा जाता है कि शुरू में पेरिस इस वीडियो को बेचने के लिए तैयार थीं, लेकिन बाद में उनकी इजाजत के बिना इसे रिलीज किया गया। जिस वजह से काफी बवाल हुआ था। 

कैमरून डियाज के न्यूज फोटोज 
केविन ने एक्ट्रेस कैमरून डियाज का भी किस्सा शेयर किया। उनका दावा है कि एक वक्त ऐसा था, जब उन्हें कैमरून डियाज के न्यूज फोटो मिल गए थे। उसे एक फोटोग्राफर ने लाकर दिया था। फोटोग्राफर चाहता था कि इसके बदले उसे ढाई मिलियन डॉलर मिले। जिसके बाद एक्ट्रेस ने केविन से मदद मांगी और उन्होंने आईपी एड्रेस की मदद से फोटोग्राफर का पता लगा लिया। उस फोटोग्राफर की पहचान जॉन रटर के रूप में हुई थी।
 
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भारत से इतना चावल क्यों खरीद रहा चीन? अधिक धान उपजाकर कैसे हो रहा है देश को नुकसान

नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। चीन हमारे चावल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। आश्चर्य की बात ये है कि चीन ने भारत से कोरोनाकाल में चावल खरीदना शुरू किया है और दो सालों से भी कम समय में भारत से सबसे अधिक चावल खरीदने लगा है। चीन लगभग तीन दशकों तक भारतीय चावल को खराब बताकर खरीदने से इंकार करता रहा। लेकिन भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद के बीच अब अचानक शत्रु देश का भारतीय चावल का सबसे बड़ा खरीदार बन जाना कुछ संदेह पैदा करता है।

लगभग 400 फीसदी तक बढ़ा निर्यात
एक विश्लेषण के अनुसार, चीन महामारी के दौरान भारतीय चावल का शीर्ष खरीदार बनकर उभरा है। चीन ने भारत से इस दौरान 16.34 लाख मीट्रिक टन (LMT) चावल का आयात किया है। यह आंकड़ा भारत की तरफ से कुल चावल निर्यात 212.10 LMT का 7.7 प्रतिशत है। साल 2021-22 में, भारत का कुल चावल निर्यात - बासमती और गैर-बासमती दोनों मिलाकर 212.10 एलएमटी था, जो कि 2020-21 में निर्यात किए गए 177.79 एलएमटी से 19.30 प्रतिशत अधिक है। इसी अवधि में, चीन को चावल का निर्यात 392.20 प्रतिशत से बढ़कर 3.31 एलएमटी से 16.34 एलएमटी हो गया।
 
नुकसान का सौदा बना धान की खेती
अगर व्यापारिक दृष्टि से देखा जाए तो यह बेहद अच्छी बात है कि चीन, चावल खरीद के मामले में हमारे देश पर आश्रित हो रहा है। इससे अच्छी बात क्या होगी कि हम अपने प्रोडक्ट निर्यात कर शत्रु देश से लाभ कमा रहे हैं। पर इसमें एक समस्या है। धान की खेती करना अब फायदा नहीं नुकसान का सौदा बनता जा रहा है और ये बात विकसित देश समझ चुके हैं। चीन, दीर्घकालीन सोच के साथ उन फसलों और उत्पादों को अपने यहां हतोत्साहित कर रहा है, जो अधिक पानी मांगते हैं और पर्यावरण के लिए समस्या बनते हैं।

पानी की अंधाधुंध खपत
आंकड़ों के मुताबिक हमारे किसान एक किलो चावल उगाने के लिए लगभग 5000 लीटर पानी की खपत कर रहे हैं। अंधाधुंध धान की खेती पर जोर देने के कारण भूजल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। इसकी वजह से जल और जलवायु संकट बढ़ रहा है। धान की खेती देश की अर्थव्यवस्था के साथ किसानों की राह की बड़ी चुनौती बन गए हैं। इनकी खेती से लेकर खपत तक की पूरी श्रृंखला इतनी बोझिल हो गई है कि उसे आगे बनाए रखना कठिन हो गया है।

धान की खेती से खेत बने बांझ
हरित क्रांति के पुरोधा राज्यों पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की माटी को धान की खेती ने बांझ बनाकर रख दिया है। इसकी वजह से इन राज्यों का भूजल इतना नीचे चला गया है कि हर साल खेती से पहले नलकूपों की खुदाई करनी पड़ रही है। ऐसे में चीन जैसे देश प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन करने वाली फसलों के साथ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली खेती से दूरी बनाने लगे हैं। अत्यधिक पानी की खपत के कारण चीन, गन्ने और चावल की खेती को सीमित करने पर काम कर रहा है।

चावल की खेती से कतरा रहा चीन
यही वजह है कि चीन ने खुद को चावल निर्यात से बाहर कर लिया है। और धान और गन्ने की को कम से कम करने की दिशा में काम कर रहा है। यही वजह थी कि साल 2020 के अंत में चीन ने भारत समेत कई और देशों से चावल आयात के सौदे किए थे। इसी का असर है कि 2 सालों से भी कम समय में चीन भारत के चावल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है।
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कनाडा-डेनमार्क के बीच 1.3 वर्ग किमी के द्वीप का 49 साल पुराना विवाद खत्म

कोपेनहेगन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। डेनमार्क और कनाडा के बीच आर्कटिक में एक बंजर और आबादी रहित चट्टानी द्वीप को लेकर 49 साल पुराना विवाद खत्म हो गया है। दोनों देश इस छोटे से द्वीप को बांटने पर सहमत हो गए हैं। समझौते के मुताबिक, इस 1.3 वर्ग किलोमीटर के हैंस द्वीप पर एक सीमा रेखा खींची जाएगी। यह द्वीप डेनमार्क के अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र ग्रीनलैंड के उत्तर-पश्चिम तट और कनाडा के एलेस्मेयर द्वीप के बीच समुद्री मार्ग पर स्थित है। हैंस द्वीप पर खनिजों का कोई भंडार नहीं है।


डेनमार्क के विदेश मंत्री जेप्पे कोफोड ने कहा, यह स्पष्ट संकेत है कि सीमा विवादों को व्यवहारिक और शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना संभव है जिसमें सभी पक्षों की जीत हो। उन्होंने कहा कि दुनिया में युद्ध और अशांति के बीच यह अहम संकेत है।
 
कनाडा और डेनमार्क 1973 में नारेस जलडमरूमध्य के माध्यम से ग्रीनलैंड और कनाडा के बीच एक सीमा बनाने के लिए सहमत हुए थे। लेकिन वे इस बात से सहमत नहीं थे कि हंस द्वीप पर किस देश की संप्रभुता होगी, जो उत्तरी ध्रुव से लगभग 1,100 किलोमीटर (680 मील) दक्षिण में स्थित है। अंत में, उन्होंने बाद में स्वामित्व के सवाल पर काम करने का फैसला किया।
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प्रदर्शनकारियों को मिलेगी देश निकाला की सजा…

कुवैत सिटी/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। खाड़ी देश कुवैत में भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले भारतीय दोबारा कभी कुवैत वापस नहीं लौट पाएंगे। जल्द ही उन्हें वापस भारत भेज दिया जाएगा। इसके बाद शायद ही कुवैत सरकार उन्हें वापस आने की मंजूरी दे। दरअसल, कुवैत में अप्रवासियों के लिए श्रम कानून इतने सख्त हैं कि इनका उल्लंघन करना वहां ‘पाप’ के समान है। और कुवैत सरकार द्वारा कानून का पालन न करने पर नरमी की कोई संभावना नहीं रहती।

श्रम कानूनों के मामले में अप्रवासियों के लिए अलग से नियम बनाए गए हैं। इसमें अप्रवासी कामगारों को कुवैत में किसी भी प्रकार का प्रदर्शन या धरना देने की अनुमति नहीं है। इसके बाद भी वहां रह रहे भारतीयों और एशियाई नागरिकों ने नुपुर शर्मा के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिसके बाद उन्हें वापस भारत भेजने का फैसला किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्हें जल्द ही वापस भेज दिया जाएगा।
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विश्व व्यापार संगठन के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भाग लेने स्विट्जरलैंड के जिनेवा पहुंचे पीयूष गोयल

जिनेवा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल विश्व व्यापार संगठन के आज से शुरू हो रहे बारहवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए स्विट्जरलैंड के जिनेवा पहुंच गये हैं। यह सम्‍मेलन करीब पांच वर्षं के अंतराल के बाद हो रहा है। श्री गोयल सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। एक ट्वीट में, श्री गोयल ने कहा कि बारहवें मंत्रिस्‍तरीय सम्‍मेलन में भारत का प्रयास रहेगा कि वार्ताओं के सकारात्मक और न्यायसंगत परिणाम प्राप्‍त हों। उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त कि  सम्‍मेलन में समाज के कमजोर वर्गों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भारत की चिंताओं का समाधान होगा।

इस वर्ष सम्मेलन में कई विषयों पर चर्चा और वार्ता होगी। इनमें कोविड महामारी पर विश्व व्यापार संगठन की प्रतिक्रिया, मत्स्य पालन सब्सिडी वार्ता और खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक भंडार व्‍यवस्‍था सहित  कृषि से जुड़े मुद्दे शामिल हैं।
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अमेरिका के शिकागो में गोलीबारी में 5 की मौत, 16 घायल

शिकागो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिका में एक के बाद एक लगातार गोलीबारी की घटनाएं सामने आ रही हैं। एक बार फिर से अमेरिका के शिकागो में गोलीबारी की घटना सामने आई है, इस गोलीबारी में 5 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 16 लोग घायल हुए हैं। पुलिस के अनुसार इस हफ्ते शिकागो में शूटिंग की घटनाओं में 5 लोगों क मौत हुई है। साउथ एल्बी में शनिवार को रात तकरीबन 12.19 बजे एक 37 वर्षीय महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई। महिला रात में गाड़ी में सफर कर रही थी तभी अनजान व्यक्ति ने उन्हें गोली मार दी और फरार हो गया।

यही नहीं शनिवार को ही रात 2.27 बजे एक 34 वर्षीय युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना साउथ इंडियाना में हुई जब युवक को उसकी कार में गोली मार दी गई। युवक को कई गोलियां मारी गई, जिसके बाद यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो मेडिकल सेंटर युवक को मृत घोषित कर दियागया। यही नहीं 23 वर्षीय युवक की शनिवार रात 3.20 बजे गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि तीन लोग घायल हो गए। यह घटना साउथ डेमेन के 8600 ब्लॉक में हुई।

इसके अलावा 39 साल के एक आदमी को उसके बाएं पैर में गोली मार दी गई, हालांकि उनकी हालत स्थिर है। वहीं 24 साल के एक और युवक को गोली मारने की घटना सामने आई है, उसे भी बाएं पैर में गोली मारी गई है। चौथे घायल की उम्र 42 साल है उन्हें भी कई गोलियां मारी गई हैं, फिलहाल अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। इस शुक्रवार को पहली बड़ी घटना साउथ जस्टिन में 6800 ब्लॉक में हुई जहां पर 25 साल के युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पीड़ित को कोई राउंड गोलियां मारी गई थी। अभी तक मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। शुक्रवार को रात 11.05 बजे 400 ब्लाड में भी गोली बारी की घटना सामने आई, जिसमे 26 साल के युवक की हत्या कर दी गई।
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एक छोटे से नियम की अनदेखी और डूब गया 15 हजार से अधिक भेड़ों से भरा जहाज

खारतूम (छत्तीसगढ़ दर्पण)। सूडान के लाल सागर बंदरगाह सुकिन में रविवार को हजारों भेड़ों से लदा एक जहाज डूब गया। इस दुर्घटना में सभी जानवर मारे गए जबकि चालक दल को बचा लिया गया। तय सीमा से कई हजार अधिक भेड़ें निर्यात करने की वजह से जहाज पर अतिरिक्त दबाव पड़ा और जहाज डूब गया।

सूडान से सउदी अरब जा रहा था 
जहाज इन भेड़ों को सूडान से सउदी अरब भेजा जा रहा था। सूडानी बंदरगाह के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह जहाज था बद्-1 था जो रविवार सुबह तड़के डूब गया। अधिकारी के मुताबिक जहाज में कुल 15,800 भेड़ें थीं जो कि सउदी अरब को निर्यात की जा रही थीं। लेकिन अधिक भार होने के कारण जहाज इसे सहन न कर सकता और यह बीच समंदर में डूब गया।
अधिक वजन के कारण डूबा जहाज 

अधिकारी ने कहा कि जहाज में केवल 9,000 भेड़े होनी चाहिए थीं। वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सभी चालक दल को बचा लिया गया है। इसके साथ ही अधिकारी ने दुर्घटना के आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जलमग्न जहाज बंदरगाह के संचालन को तो प्रभावित करेगा ही इसके अलावा बड़ी संख्या में जानवरों की मौत के कारण पर्यावरणीय पर भी असर पड़ेगा।

नतीजे आने में लगेगा वक्त 
गौरतलब है कि बीते महीने सुकिन बंदरगाह के कार्गो क्षेत्र में भीषण आग लग गई थी, जो घंटों तक चली और भारी क्षति हुई। लेकिन अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि बंदरगाह में आग कैसे लगी थी। आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी गई है, लेकिन अभी तक इसके नतीजे सामने नहीं आए हैं।

ऐतिहासिक बंदरगाह है सुकिन 
सुकिन, सूडान का एक ऐतिहासिक बंदरगाह है। हालांकि अब यह सूडान का मुख्य विदेशी व्यापार केंद्र नहीं है। इसकी जगह अब पोर्ट सूडान ने ले ली है। यह लाल सागर तट के साथ लगभग 60 किलोमीटर दूर है। सूडान फिलहाल आर्थिक संकट की चपेट में है, जो पिछले साल सेना प्रमुख अब्देल फतह अल-बुरहान के नेतृत्व में सैन्य तख्तापलट के बाद और गहरा गया है।



 

 

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UN ने चेताया, श्रीलंका में खराब आर्थिक स्थिति के बीच आ सकता है गंभीर मानवीय संकट

कोलंबो (छत्तीसगढ़ दर्पण)। श्रीलंका में घोर आर्थिक संकट के कारण वहां की जनता की स्थिति और अधिक खराब हो गई है। संयुक्त राष्ट्र ने संकट पर एक और बड़ी चेतावनी जारी की है। यूएन का कहना है कि, नकदी की तंगी से जूझ रहा श्रीलंका का अभूतपूर्व आर्थिक संकट गंभीर मानवीय संकट में बदल सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने आगे कहा कि,देश में लाखों लोगों को पहले से ही सहायता की जरूरत है।

गहरा सकता है मानवीय संकट
संयुक्त राष्ट्र मानवीय एजेंसी ओसीएचए (OCHA) के प्रवक्ता जेन्स लार्के ने संवाददाताओं से कहा, 'हम चिंतित हैं कि यह एक पूर्ण मानवीय आपातकाल में बदल सकता है। उन्होंने कहा कि, वे इस बड़ी चिंता को दूर करने के लिए कार्रवाई कर रहे हैं।

जल्द मदद की जरूरत 
जेन्स लार्के ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और उसके सहयोगी सबसे कमजोर लोगों और संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित 17 लाख लोगों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए 47 मिलियन डॉलर की अपील कर रहे हैं। बता दें कि, श्रीलंका में घोर आर्थिक संकट के कारण महीने दिनों बिजली की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। पेट्रोल पंपों पर लोगों की लंबी कतार दिख रही है। साथ ही रिकॉर्ड मुद्रास्फीति ( Inflation)ने दक्षिण एशियाई द्वीप राष्ट्र के 22 मिलियन लोगों के दैनिक जीवन को कष्टों से भर दिया है।
 
श्रीलंका में घोर आर्थिक संकट 
बता दें कि, घोर आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री का पदभार संभाला था। हालांकि, अभी तक स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। वहीं, भारत दक्षिणी देश से चीन का प्रभाव कम करने के लिए श्रीलंका के सामने मसीहा बनकर उभरा है। भारत मसीहा बनकर उभरा आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को भारत ने अब तक कई बार मदद पहुंचाई है। जानकारी के मुताबिक भारत ने श्रीलंका को उर्वरकों के आयात के लिए 5.5 करोड़ डॉलर तक के कर्ज की स्वीकृति दी है। भारतीय उच्चायोग के मुताबिक श्रीलंका को खाद्यान्न संकट से बचाने के लिए उर्वरक की खरीद में धन कमी नहीं आने देने के लिए अधिकतम ऋण सीमा प्रदान की है।
 
भारत मसीहा बनकर उभरा 
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को भारत ने अब तक कई बार मदद पहुंचाई है। जानकारी के मुताबिक भारत ने श्रीलंका को उर्वरकों के आयात के लिए 5.5 करोड़ डॉलर तक के कर्ज की स्वीकृति दी है। भारतीय उच्चायोग के मुताबिक श्रीलंका को खाद्यान्न संकट से बचाने के लिए उर्वरक की खरीद में धन कमी नहीं आने देने के लिए अधिकतम ऋण सीमा प्रदान की है।
 
 
 

 

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जापान और नैटो अधिकारी सैन्‍य सहयोग और संयुक्‍त अभ्‍यास बढ़ाने पर सहमत

जापान (छत्तीसगढ़ दर्पण)। जापान और नैटो अधिकारी सैन्‍य सहयोग और संयुक्‍त अभ्‍यास बढाने पर सहमत हो गये हैं। जापान के रक्षामंत्री नोबुओ किशी ने कहा है कि जापान यूरोपीय देशों से अपने संबंध मजबूत करने की आशा रखता है और हिन्‍द-प्रशान्‍त क्षेत्र में नैटो की बढती भागीदारी का स्‍वागत करता है।

श्री किशी ने कहा कि यूरोप और एशिया की सुरक्षा एक दूसरे से जुड़ी हुई है, खासकर ऐसे समय में जब अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। नैटो की सैन्‍य समिति के प्रमुख रोब बाउअर की तोक्‍यो यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब जापान की नौसेना भूमध्‍यसागर में नैटो के नौसैना अभ्‍यास में हिस्‍सा ले रही है।
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भारत ने कामकाज में प्रोद्यौगिकी का उपयोग किया है और प्रणालियों को सरल बनाया : यादव

जेनेवा (छत्तीसगढ़ दर्पण)। श्रम और रोजगार मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा है कि भारत ने हाल के वर्षों में कामकाज में प्रोद्यौगिकी का उपयोग किया है और प्रणालियों को सरल बनाया है। इसका उद्देश्य कामगारों के लिए गरिमा और सामाजिक सुरक्षा के साथ रोजगार सुनिश्चित करना है।

जेनेवा में 110वें अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए भूपेन्द्र यादव ने कहा कि सरकार प्रत्येक श्रमिक को विशिष्ट व्यापक खाता संख्या उपलब्ध करा रही है जो उन्हें उनका अधिकार दिलाने के लिए पात्रता पहचान साबित होगी।
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विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्कूल पुरस्कारों की सूची में पांच भारतीय स्कूल शामिल

लंदन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। ब्रिटेन में पहली बार दिए जा रहे ‘वर्ल्ड्स बेस्ट स्कूल’ (विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्कूल) पुरस्कारों की जारी शीर्ष 10 की सूची में पांच भारतीय स्कूलों को शामिल किया गया है। समाज की प्रगति के क्षेत्र में दिए गए योगदान के लिए ब्रिटेन में ढाई लाख डॉलर के इन पुरस्कारों की घोषणा की गई है। मुंबई स्थित एसकेवीएम के सीएनएम स्कूल और नयी दिल्ली के लाजपत नगर-3 के एसडीएमसी प्राथमिक स्कूल को ‘वर्ल्ड्स बेस्ट स्कूल प्राइज फॉर इनोवेशन’ श्रेणी के शीर्ष 10 की सूची के लिए चयनित किया गया है।

इसके अलावा ‘कम्युनिटी कोलैबोरेशन’ (सामुदायिक सहयोग) श्रेणी के शीर्ष 10 की सूची में मुंबई के खोज स्कूल और पुणे के बोपखेल में स्थित पीसीएमसी इंग्लिश मीडियम स्कूल को शामिल किया गया है। हावड़ा के समारितन मिशन स्कूल (हाई) को विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों की सूची में ‘ओवरकमिंग एडवर्सिटी’ श्रेणी की सूची में जगह मिली है।
 
टी4 एजुकेशन और ‘वर्ल्ड्स बेस्ट स्कूल’ पुरस्कार के संस्थापक विकास पोटा ने कहा, कोविड के कारण स्कूल और विश्वविद्यालयों के बंद होने से डेढ़ अरब से ज्यादा छात्र प्रभावित हुए। संयुक्त राष्ट्र ने महामारी से पहले ही चेतावनी दी थी कि वैश्विक शिक्षा संकट गहरा सकता है क्योंकि 2030 तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में पहले से ही विलंब हो रहा था।

उन्होंने कहा, हमने व्यवस्थागत बदलाव लाने के उद्देश्य से जमीनी स्तर पर समाधान निकालने के लिए वर्ल्ड्स बेस्ट स्कूल पुरस्कारों की शुरुआत की है। छात्रों के जीवन में परिवर्तन लाने और प्रेरणा देने वाले स्कूलों की कहानी बताकर शिक्षा में बदलाव लाया जा सकता है। ब्रिटेन स्थित डिजिटल मीडिया मंच टी4 एजुकेशन द्वारा वर्ल्ड्स बेस्ट स्कूल पुरस्कारों की शुरुआत की गई है। संबंधित श्रेणियों में अंतिम विजेताओं की घोषणा इस साल अक्टूबर में की जाएगी। पांच पुरस्कार विजेताओं के बीच ढाई लाख डॉलर का पुरस्कार बराबर बांटा जाएगा और प्रत्येक विजेता को 50 हजार डॉलर का पुरस्कार मिलेगा।
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भारत-अमेरिका के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों के लिए बेहद अहम रहा यह वर्ष : संधू

वाशिंगटन (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कहा कि यह वर्ष भारत-अमेरिका व्यापार और आर्थिक संबंधों के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा है। इसके साथ ही संधू ने दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी की क्षमता को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, पिछले साल हमने 160 अरब डॉलर से ज्यादा का भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार किया। यह ध्यान में रखना चाहिए कि आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएं आने और बिना किसी औपचारिक व्यापार समझौते के ऐसा महामारी के दौर में हासिल किया गया।

संधू ने वर्जीनिया के फेयरफैक्स काउंटी में एक व्यावसायिक शिष्टमंडल के लिए आयोजित कार्यक्रम में यह टिप्पणी की। फेयरफैक्स काउंटी के लोगों का भारत से मजबूत रिश्ता है। कार्यक्रम में वर्जीनिया की वाणिज्य एवं व्यापार सचिव कैरेन मेरिक, कृषि एवं वन सचिव मैथ्यू लोहर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। संधू ने कहा कि दोनों तरफ से समान रूप से अच्छा निवेश किया गया।
 
भारतीय राजदूत ने कहा, अमेरिका में 200 भारतीय कंपनियां मौजूद हैं और भारत में 2,000 से ज्यादा अमेरिकी कंपनियां सक्रिय हैं। इससे स्पष्ट है कि हमारे देशों के बीच आर्थिक साझेदारी की क्षमता बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि 2019 में भारत और वर्जीनिया के बीच 1.65 अरब डॉलर का व्यापार हुआ और तब से इसमें सालाना लगभग 15 प्रतिशत से अधिक की दर से वृद्धि हो रही है।
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राजनाथ ने वियतनाम को 12 तटरक्षक नौकाएं सौंपी

वियतनाम (छत्तीसगढ़ दर्पण)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को वियतनाम को 12 तेज गति वाली तटरक्षक नौकाएं सौंपी। इन नौकाओं का निर्माण भारत द्वारा वियतनाम को दी गई 10 करोड़ डॉलर की ऋण सहायता के तहत किया गया है। राजनाथ ने अपने वियतनाम दौरे के दूसरे दिन होंग हा पोत कारखाने में आयोजित एक समारोह में यह अत्याधुनिक तटरक्षक नौकाएं(हाई-स्पीड गार्ड बोट) सौंपीं। यह नौकाएं ऐसे समय में वियतनाम को सौंपी गयी हैं जब दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में बीजिंग की बढ़ती सैन्य गतिविधियों से निपटने के लिए दोनों पक्षों के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ रहा है।


रक्षा मंत्री आठ से 10 जून तक वियतनाम के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर कहा, भारत द्वारा 10 करोड़ अमेरिकी डालर की रक्षा ऋण सहायता के तहत 12 अत्याधुनिक तटरक्षक नौकाओं के निर्माण की परियोजना के सफल समापन के अवसर पर इस ऐतिहासिक समारोह में शामिल होकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। शुरुआती पांच नौकाओं का निर्माण भारत में एलएंडटी शिपयार्ड में किया गया था जबकि शेष सात को होंग हा पोत कारखाने में बनाया गया था। सिंह ने कहा, मुझे विश्वास है कि यह सहयोग भारत और वियतनाम के बीच कई और सहकारी रक्षा परियोजनाओं का अग्रदूत साबित होगा।
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मेडिकल जगत हैरान : सिर्फ 6 महीने में दवा से पूरी तरह ठीक हुआ कैंसर…

न्यूयॉर्क/नई दिल्ली (छत्तीसगढ़ दर्पण)। अमेरिका में एक अध्ययन के दौरान इम्यूनोथेरेपी की नई दवा से रेक्टल कैंसर के सभी 18 मरीज पूरी तरह ठीक हो गए। छह महीने के कोर्स के बाद किसी भी मरीज की जांच में ट्यूमर सामने नहीं आया। कुछ मरीजों को दो साल का समय हो चुका है और अब तक कैंसर का कोई लक्षण नहीं उभरा है। न्यूयॉर्क स्थित एमएसके कैंसर सेंटर के डा. लुइस ए डियाज जूनियर के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन के नतीजे न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन में प्रकाशित किए गए हैं।

विज्ञानियों का कहना है कि भले ही 18 मरीजों पर किया गया यह अध्ययन छोटा है, लेकिन इसके नतीजे बहुत उत्साहजनक हैं। भविष्य में इससे विभिन्न प्रकार के कैंसर के सटीक इलाज की राह निकल सकती है। अध्ययन के दौरान सभी मरीजों को चेकप्वाइंट इनहिबिटर कही जाने वाली दवा डोस्टारलिमैब दी गई। छह माह तक हर तीसरे हफ्ते एक खुराक दी गई। डोज पूरी होने के बाद जब जांच की गई तो किसी भी मरीज में कैंसर का लक्षण नहीं बचा था। अध्ययन से पहले यह माना जा रहा था कि शायद कुछ मरीजों को बाद में कीमोथेरेपी या अन्य दवा की जरूरत पड़े, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अध्ययन में शामिल किए गए सभी मरीजों का कैंसर शुरुआती स्टेज में था, यानी उसका शरीर के दूसरे अंगों तक फैलना शुरू नहीं हुआ था।

दवा ऐसे करती है काम
कैंसर कोशिकाएं स्वयं को शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) से छिपाने में सक्षम होती हैं। उनकी इसी खूबी के कारण शरीर में ट्यूमर बनता है। यह दवा कैंसर की कोशिकाओं से उस पर्दे को हटा देती हैं और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें आसानी से देख पाती है। इसके बाद हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली ही उन कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। इसीलिए इस प्रक्रिया को इम्यूनोथेरेपी कहा जाता है।

पांच साल पहले एक परीक्षण से बंधी थी उम्मीद
2017 में फार्मा कंपनी मर्क ने डा. लुइस डियाज के नेतृत्व में ही अपनी चेकप्वाइंट इनहिबिटर दवा पेमब्रोलिजुमैब का परीक्षण किया था। उस दौरान ऐसे मरीजों को शामिल किया गया था, जिनमें मेटास्टेटिक कैंसर था यानी कैंसर शरीर के कई अंगों में फैल चुका था। दो साल तक दवा लेने से करीब आधे मरीजों में ट्यूमर छोटा हो गया या उसका प्रसार रुक गया था। 10 प्रतिशत मरीजों में कैंसर खत्म हो गया था। इसी नतीजे को देखकर डा. डियाज ने सोचा था कि यदि एक ही अंग में फैले कैंसर पर दवा का प्रयोग करें, तो क्या नतीजा मिलेगा? इसी विचार के साथ उन्होंने फार्मा कंपनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन के साथ मिलकर अध्ययन को पूरा किया।
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भारत की ओर से जिम्बाब्वे को दी गई दवाइयों की बड़ी खेप

हरारे  (छत्तीसगढ़ दर्पण)। विदेश मंत्री वी मुरलीधरन ने बुधवार को तपेदिक के इलाज के लिए दवाइयों की एक खेप जिम्बाब्वे को सौंप दिया है। इस खेप में दवाईयों के 288 बक्से हैं। यह खेप यहां के स्वास्थ्य व परिवार वेलफेयर के डिप्टी जान मांगवाइरो को सौंपा गया। मुरलीधरन ने कहा कि उन्हें इस बात का भरोसा है कि ये दवाईयां जिंबाब्वे को सहायता उपलब्ध कराएगी।

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